विश्वकर्मा जयंती इन हिंदी : हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा जी को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है और इनकी पूजा भी की जाती है | इसीलिए हम आपको विश्वकर्मा जयंती के बारे में जानकारी देते है की यह क्यों मनाई जाती है और इस दिन हमें भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा किस तरह से करनी है पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है की विश्वकर्मा जी ने इन्द्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्ग लोक, लंका इत्यादि महान नगरियों का निर्माण किया था | इस दिन सभी व्यापारी लोग अपने औज़ारो, कंपनियों और दुकानों की की पूजा भी करते है तभी विश्वकर्मा जी की पूजा सफल मानी जाती है |
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Vishwakarma Jayanti Kab Hai
विश्वकर्मा जयंती कब है : विश्वकर्मा जयंती विश्वकर्मा जी के जन्म से सम्बंधित मानी जाती है हिन्दू पंचांग के अनुसार हम इसे भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाते है और इस साल यानि 2020 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर को है इसी दिन हमें विश्वकर्मा जी की पूजा करनी होगी |
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विश्वकर्मा जयंती का महत्व
Vishwakarma Jayanti Ka Mahatv : विश्कर्मा जी की जयंती के मौके पर हमें उनकी पूजा करनी चाहिए और उनकी पूजा करने से हमें अपने व्यापर या किसी भी तरह के कामो में कोई रुकावट नहीं आती है | इससे आपके घर में धन-धन्य तथा सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती और आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है |
विश्वकर्मा पूजा विधि
Vishwakarma Puja Vidhi : विश्वकर्मा जी की पूजा करने के लिए आप पुरे विधि विधान से पूजा कर सकते है इसके लिए हमने आपको पूजा करने के तरीके बताये है की आपको किसब तरह से पूजा करनी है :
- सबसे पहले आप पूजा करने के लिए स्नान करके पवित्र होकर ही पूजा स्थल में बैठे |
- उसके बाद हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर विष्णु जी और भगवान् विश्वकर्मा जी का ध्यान करे और अक्षत को चारो दिशाओ में छिड़क दे |
- पूजा करने के लिए आपको दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी इत्यादि सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी |
- पूजा स्थल में जल से भरा कलश और विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करे |
- उसके बाद विश्वकर्मा जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ा दे और सभी औज़ारो पर तिलक लगा कर विधिपूर्वक पूजा करे |
- उसके बाद आप हवन करके सभी लोगो को प्रसाद वितरण कर दे |
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विश्वकर्मा पूजा मंत्र
Vishwakarma Puja Mantra : विश्वकर्मा जयंती के दिन जब कभी आप विश्वकर्मा जी की पूजा कर रहे हो तो उस समय आपको इस मंत्र का जाप करना होगा :
ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:
ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:
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विश्वकर्मा जी की जन्म की कथा
Vishwakarma Ji Ki Janm Ki Katha : संसार की रचना के प्रारम्भ में भगवान् विष्णु सागर में प्रकट हुए उनकी नाभि में ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हो रहे थे | ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है ब्रह्मदेब के सबसे पहले पुत्र धर्म थे और धर्म को भी 7 पुत्रो की प्राप्ति हुई जिसमे से सांतवा पुत्र वास्तु था वास्तु भी एक शिल्पकार ही थे | उसके बाद वास्तु ने एक पुत्र ने जन्म को दिया जो की विश्वकर्मा कहलायी उसी दिन से इसे विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है विश्वकर्मा जी भी अपने पिता की तरह शिल्पकारी में प्रसिद्ध थे जिन्होंने रावण की लंका, स्वर्ग, दिव्य शास्त्रों का निर्माण, कृष्णा जी की नगरी सबका निर्माण इन्ही के द्वारा किया गया |
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