वरुथिनी एकादशी 2017: जैसा की हम सभी जानते है की भारत देश त्योहारो का देश है इसीलिए इसमें एकादशी एक हिन्दू धर्म में अत्यंत ही आस्था का महत्त्व रखता है तो आज हम को बताते है वरुथिनी एकादशी का व्रत आप किस तरह से रखेंगे या फिर क्या सावधानिया आपको व्रत के समय पर रखनी है या क्या होगी व्रत विधि ? वैसे इससे पहले हम कामदा एकादशी, पापमोचनी एकादशी, आमलकी एकादशी, विजया एकादशी, जया एकादशी और षटतिला एकादशी इसके बारे में पढ़ कर इसकी सभी जानकारी दे चुके है तो जानिए वरुथिनी एकादशी के बारे में पूरी जानकारी हमारी इस पोस्ट के माध्यम से |
यहाँ भी देखे : Chaitra Purnima
Varuthini Ekadashi Date 2020
वरुथिनी एकादशी 2020 : वरुथिनी एकादशी चैत्र माह में आती है और ये इस साल यानि साल 2020 में 22 अप्रैल को पड़ रही है जिस व्रत क्लो करने से आपको मनवांछित फल प्राप्त होता है |
यहाँ भी देखे : Hanuman Jayanti
वरुथिनी एकादशी व्रत विधि
Varuthini Ekadashi Vrat Vidhi : वरुथिनी एकादशी के दिन रखने वाले व्रत से आप आप अपने सभी पापो का नाश कर सकते है तो जानिए की इस व्रत की विधि क्या होगी आपको इस व्रत को करने के लिए क्या करना होगा ?
वरुथिनी एकाधि के व्रत में आपको व्रत से एक दिन पहले यानि की दशमी वाले दिन निम्न वस्तुओ जैसे कांस, उड़द, मसूर, चना, कोदो, शाक, मधु, किसी दूसरे का अन्न, दो बार भोजन तथा काम क्रिया इन सभी चीज़ों का त्याद करना आवश्यक है | उसके बाद आपको एकादशी के दिन भगवान् का पूजन करे और भजन कीर्तन का आयोजन भी करे | लेकिन एकादशी के व्रत वाले दिन आपको सोना, पान खाना, दांतुन, दूसरे की बुराई, चुगली, चोरी, हिंसा, काम क्रिया, क्रोध तथा झूठ का त्याग करना अनिवार्य है उसके बाद द्वादशी वाले दिन ब्राह्मण को भोजन करवाये और दखिन देकर विदा करे आपका व्रत पूरा हो जायेगा |
Varuthini Ekadasi Story
वरुथिनी एकादशी स्टोरी : अगर आप वरुथिनी एकादशी के पीछे की कहानी जानना चाहे तो आप हमारे माध्यम से जान सकते है जिसमे की आपको वरुथिनी एकादशी के पीछे की सच्ची घटना का पता चलता है :
यहाँ भी देखे : Mesha Sankranti
Varuthini Ekadashi Katha in Hindi
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा इन हिंदी : पृथ्वी के एक पराक्रमी राजा मांधता थे जिन्हें विष्णु जी द्वारा अनेक शक्तियां प्राप्त थी और वह राजा नरेश अति प्रकर्मी राजा हुआ करता था इन्हें सौ राजसूय तथा अश्वमेध यज्ञों का कर्ता और दानवीर, धर्मात्मा चक्रवर्ती सम्राट् जो वैदिक अयोध्या नरेश मंधातृ जैसा अभिन्न माना जाता था बचपन से ही उनका पालन पोषण इंद्र देव द्वारा किया गया था इंद्र देव ने उन्हें खुद दूध पिलाया जिसकी वजह से वह एक साहसी और पराक्रमी राजा के रूप में धरती में विराजमान हुए उन्हें अपनी शक्ति पर गर्व थे इसलिए अपने जीवन काल में उन्होंने कई पाप किये जिसकी वजह से उनका नरक में जाना तय थे | लेकिन वह भगवान विष्णु के एक बहुत बड़े भक्त थे जिसकी वजह से उन्होंने वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा और उसके प्रभाव से उनके सभी पापो का नाश हो गया और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई |
Contents
