सीता नवमी : सीता नवमी के दिन ही माँ सीता का जन्म हुआ था ग्रंथो में इस दिन को बहुत महत्वूर्ण दिन माना जाता है इसीलिए हम आपको सीता नवमी के बारे में जानकारी देते है की सीता जी धरती में से प्रकट हुई थी लेकिन किस तरह से हुई इसकी जानकारी हम पको सीता जी की जन्म कथा में बताएँगे | वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को पुराणों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योकि इसी दिन माँ सीता का जन्म हुआ था और 2020 में सीता नवमी 4 मई को मनाई जाएगी | जिसकी तैयारी के लिए हिन्दू धर्म में कई बड़े-2 आयोजन और पूजन भी किये जाते है और सीता नवमी को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है |
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Sita Devi Fast
सीता देवी फ़ास्ट : भारत में, सीता नवमी के अवसर बहुत उत्तेजना और भक्ति के साथ प्रसिद्ध हैं। हनुमान, लक्ष्मण और भगवान राम भी देवी सीता के साथ पूजा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में अयोध्या, आंध्र प्रदेश के भद्रचलाम, बिहार में सीता समहथ स्थाल और तमिलनाडु में रामेश्वरम के स्थानों पर इस त्योहार को बहुत महत्व दिया जाता है:
- प्रातः जल्दी स्नान करके भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए और व्रत का प्राण लेना चाहिए |
- मंदिरों में, दर्शन, आरती और महा अभिषेक का प्रदर्शन किया जाता है।
- यात्रा माता सीता, भगवान राम हनुमान और लक्ष्मण की मूर्तियों को लेकर किया जाता है।
- पास के मंदिर में समूहों में बैठकर रामायण पढ़ा जाता है।
- इस अवसर पर भजन कीर्तन और आश्रय किया जाता है।
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सीता नवमी का महत्व
Seeta Navami Ka Mahatv : सीता नवमी के भी कई महत्व है जिससे आपको इस व्रत को रखने का महत्व पता लगता है इसीलिए कुछ ऐसे महत्त्व है जो आपके लिए फलदायी सिद्ध हो सकते है :
- सीता नवमी के दिन व्रत रखने से 16 महान दानो का फल मिलता है |
- क्योकि सीता को पृथ्वी की देवी कहा जाता है इसीलिए उनके व्रत से पृथ्वी दान जैसा फल प्राप्त होता है |
- इस व्रत से समस्त पवित्र तीर्थो के दर्शन का फल भी प्राप्त होता है |
- इस व्रत को रखने से आपको पाप से मुक्ति मिल जाती है |
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सीता जन्म कथा
Sita Janm Katha : राजा जनक जो की मिथिला के राजा और सीता जी के पिता थे उनके राज्य मिथिला में कई दिनों से वर्षा नहीं हो रही थी इस समस्या के लिए ऋषियों और मुनियो से सलाह ली तो उन्होंने राजा जनक को हल से खेतो को जोतने के लिए कहा जिससे की वर्षा होने के आसार है | तब राजा जनक ने वहाँ हल चलना प्रारम्भ किया लेकिन हल चलते समय ही उनका हल जमीन में गधे हुए एक कलश में टकराया जिससे की एक धातु जैसी आवाज़ सुनाई दी | जब जनक ने वहाँ खोदा तो उसमे कलश में एक बालिका निकली, चूँकि राजा जनक को एक पुत्री की आस थी इसीलिए उन्होंने उस बालिका को गोद ले लिया | जिससे की उन्हें मिथिलकेश कुमारी नाम से जान गया | लेकिन हल के उस फल को सीत कहते है और सीत से टकराकर ही उस बालिका की खोज हुई इसीलिए राजा जनक ने उनका नाम सीता रख दिया |
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