Shradh Paksh Se Jude Niyam Tatha Dhyan Rakhne Yogya Baatein: श्राद्ध पक्ष हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्त्व रखता है हिंदी धर्म में 5 सितम्बर से श्राध्द पक्ष शुरू हो रहे है जिसमे की आपको अपने पितरो की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध रखना पड़ता है लेकिन उसके भी कुछ नियम होते है उसके नियमो के बारे में हम आपको बताते है की इन श्राध्द के दिनों में आपको क्या करना चाहिए ? किस तरह से अपने पितरो की पूजा करनी चाहिए या फिर इन दिनों में क्या नहीं करना चाहिए ? इसकी पूरी जानकारी पाने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस पोस्ट के द्वारा जान सकते है |
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श्राद्ध पक्ष का महत्व
शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष यानि की पितृ पक्ष बहुत महत्त्व होता है इन दिनों में सूर्य दक्षिणायन में आ जाता है जिसके फलस्वरूप आत्माओ की मुक्ति का मार्ग खुल जाता है | इन्ही दिनों में पितृ दोष से ग्रसित व्यक्ति पूजा करके अपने दोष को दूर करता है अगर इन दिनों में पुरे मनोभाव से पूजा की जाये तो आत्माओ को मुक्ति मिल जाती है | हिन्दू धर्म में केवल इन्ही दिनों अपने पितरो की पूजा करके उनकी आत्माओ को शांति दी जाती है |
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श्राद्ध पक्ष के नियम
Shradh Paksh Ke Niyam : श्राद्ध पक्ष में एक व्यक्ति को कई बातो का ध्यान रखना चाहिए यह महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है हमें इसी समय में अपने पूर्वजो से हमारे द्वारा किये गए साडी गलतियों की माफ़ी मांग लेनी चाहिए :
- आपके पूर्वजो की मृत्यु हिंदी कैलेंडर की तिथि के मुताबिक जिस तिथि को हुई है आपको केवल उसी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए अगर भूलवश तिथि याद नहीं हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही श्राद्ध कर देना चाहिए |
- शास्त्रों के अनुसार इस समय में कुत्ते बिल्ली या किसी भी अन्य जानवर को किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचनी चाहिए |
- श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मणो को भोजन करने के बाद कही और भोजन नहीं करना चाहिए और उस दिन वह अपने घर में भी भोजन न करे |
- चतुर्दशी यानि चौदस के दिन देहांत हुए व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी के दिन न करके त्रयोदशी या अमावस्या के दिन करना चाहिए |
- चतुर्दशी के दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु जवानी में या इस किसी दुर्घटना वश हुई हो |
- अगर आप अपने नाना या नानी का श्राद्ध देते है तो उनका श्राद्ध केवल अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ही करना शुभ माना जाता है तभी आपका श्राद्ध सफल माना जाता है |
- पितृ पक्ष के समय में लोगो को नए वस्त्र भी नहीं धारण नहीं करने चाहिए |
- अगर आप किसी ऐसे स्त्री का श्राद्ध कर रहे है जिनका पति अभी तक जिन्दा है यानि वह सुहागिन ही मृत्यु को प्राप्त हुई हो तो उसका श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी तिथि को करना श्रेष्ठ माना जाता है |
- पितृपक्ष की द्वादशी तिथि को साधु महात्माओ और सन्यासी व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है |
- पितृदोष वाले व्यक्ति के लिए यह महीना बहुत महत्त्व रखता है अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है तो उस व्यक्ति को अपने पितरो को पूर्ण सम्मान देना चाहिए तथा शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ तथा पितृ दोष निवारण यन्त्र की स्थापना अपने घर में करनी चाहिए |
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