त्यौहार

Sheetala Ashtami

शीतलाष्टमी : शीतला अष्टमी बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है यह त्यौहार हर बार बसन्त पंचमी और होली के बाद चैत्र मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है यह व्रत होली मनाने के बाद प्रथम सोमवार या गुरूवार को पड़ती है | इस दिन को मनाने के बाद बसंत ऋतू की विदाई और ग्रीष्म ऋतू का आगमन होता है तो आज हम आपको बताते है इस दिन के बारे में की ये क्यों महत्वपूर्ण है इस अष्टमी पर व्रत रखने से आपको क्या फल मिलता है या क्या है इसकी व्रत विधि सभी तरह की जानकारी आप हमारी इस पोस्ट के माध्यम से ले सकते है |

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Sheetala Ashtami 2020

शीतला अष्टमी 2020 : वैसे तो अष्टमी पर्व हर माह आता है लेकिन शीतला अष्टमी चैत्र मास की अष्टमी तिथि को पड़ती है इस बार यह Sheetla Saptami 2020 Date (19 March) के बाद 20 मार्च को है |

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Sheetala Ashtami Puja Vidhi

शीतला अष्टमी पूजा विधि : वैसे तो कहा जाता है की शीतला माता ऋतुओ की देवी होती है और ये माँ दुर्गा का ही रूप है इनका व्रत रखने पर ऋतू परिवर्तन से होने वाली सभी बीमारियां दाहज्वर, पीतज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र के समस्त रोग नष्ट हो जाते है :

  • अष्टमी वाले दिन इससे एक दिन पहले सप्तमी को बसौड़ा में मीठे चावल, कढ़ी, चने की दाल, हलुवा, रावड़ी, बिना नमक की पूड़ी, पूए आदि बनाये जाते है |
  • फिर अष्टमी पर सुबह इनका भोग रोली और चावल के साथ एक थाली में सजा कर रखे |
  • और शीतला माता की पूजा करे और भोग लगाए |
  • पूजा संपन्न होने के बाद घर के मंदिर में भी इसका भोग लगाए |
  • रात्रि में घी का दिया मंदिर में जलना चाहिए |
  • व्रत तोड़ने से पहले किसी वृद्ध को भोजन करवा कर उन्हें दक्षिणा भी देनी चाहिए |

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Sheetala Ashtami

Sheetla Mata Puja Samagri

शीतला माता पूजा सामग्री : रोली, चावल, घी का दीपक, भात, रोटी, दही, चीनी, जल, रोली, चावल, मूँग, हल्दी, मोठ, बाजरा इत्यादि से इस दिन शीतला माता पर भोग लगाया जाता है रात्रि में दीपक जलाकर इन सभी चीज़ों को मंदिर में चढ़ाना चाहिए |

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Sheetala Ashtami in Hindi

शीतला अष्टमी इन हिंदी : शीतलाष्टमी वाले दिन जो इस उपवास को रखता है उसके घर में पुरे दिन खाने को कुछ नही बनता वह घर के बाकी सदस्यो को एक दिन पहले का बना हुआ खाना खिलाते है और ना ही उस दिन घर में कढ़ाई रखी जाती इससे एक दिन पहले खाने में बसौड़ा में मीठे चावल, कढ़ी, चने की दाल, हलुवा, रावड़ी, बिना नमक की पूड़ी, पूए आदि एक दिन पहले ही रात्रि में बनाकर रख लिए जाते हैं। जिससे की अगले दिन प्रातःकाल में शीतला माता की पूजा इस बासे खाने से की जाती है क्योंकि इस दिन को बासड़ा नामक त्यौहार से भी माना जाता है पूजा करने के बाद बासोड़े का प्रसाद घर के बाकी सदस्यो में बाँट दिया जाता है और इस दिन जो व्रत रखता है वो अपनी पांचो उंगलिया घी में डुबोकर रसोई घर में छापा लगाते है |

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