शनिदेव की कहानी : हिन्दू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है यह बहुत ही कठोर है क्योंकि इनके प्रकोप से अच्छे से अच्छे धनवान, शक्तिशाली व्यक्ति भी दरिद्र बन जाता है शनिदेव ने शिव पूजा की जिससे की शनिदेव को न्याय करने की शक्ति भगवान शिव के आशीर्वाद द्वारा प्राप्त हुई आज हम आपको बताएँगे शनिदेव की पूरी स्टोरी की क्यों शनि देव को इतना कठोर कहा जाता है |
शनिदेव की कहानी
शनि संसार के नौ ग्रहो में से सांतवा गृह है वेदों के अनुसार यह भी मन जाता है सूर्यमाला में जो शनि है वह शनिदेव का प्रतीक है शनिदेव सूर्यदेव के दूसरी पत्नी छाया के पुत्र थे जब शनिदेव छाया के गर्भ में थे तो छाया ने शिव की कड़ी तपस्या की इस वजह से उन्हें अपने खाने पीने का ख्याल तक नहीं रहता था जिसके दुष्परिणाम शनिदेव का रंग काला हो गया जिसके सूर्यदेव ने देखा तो वे छाया पर बुरी तरह से क्रोधित हुए और उनका अपमान किया और कहा की यह मेरा बेटा नहीं है तभी से शनिदेव का सूर्यदेव से बैर हो गया फिर उन्होंने सूर्य की तरह से शक्तियॉ पाने के लिए शिवजी की अराधना की और नवग्रहों में स्थान पाया | वेदों के अनुसार खुद भगवान् शिव भी शनिदेव के प्रकोप से नही बच पाए उनको भी शनिदेव के प्रकोप का झेलना पड़ा |
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शनि देव के नाम
शनि देव के भी कई नाम है जिनमे से कुछ नाम इस प्रकार है :
- कोणस्थ
- पिंगल
- बभ्रु
- रौद्रान्तक
- यम
- सौरि
- शनैश्चर
- मंद
- पिप्पलाश्रय
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शनिदेव के मंत्र
माना जाता है कि “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शनि की महादशा और साड़ेसाती प्रकोप से राहत मिलती है
आज्ञा दे गुरु देव ने ,देना शीष झुकाय , कथा कहू शनि देव की ,भाषा सरल बनाय
शनि देव के मुख्य मंदिर
- शनि शिंगणापुर
- शनिश्चरा मंदिर( ग्वालियर)
- शनि मंदिर (इंदौर)
- प्राचीन शनि मंदिर (मुरैना)
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