शायरी (Shayari)

Saghar Siddiqui Shayari

सागर सिद्दीकी शायरी : सागर सिद्दीकी का पूरा नाम मुहम्मद अख्तर था उनका जन्म पंजाब राज्य के अम्बाला जिले में 1928 में हुआ था वह एक बहुत प्रसिद्ध उर्दू के शायर है इन्होंने अपने जीवन में कई मशहूर शायरियां और ग़ज़ल लिखी जो की उनकी महानता को दर्शाती है इनकी मृत्यु 46 साल की उम्र में 19 जुले 1974 में लाहौर में हुई | जिनके माध्यम से आप जान सकते है कई लव संबंधी शायरी और देश के बहुत बड़े-2 शायर कुमार विश्वास, ग़ालिब, और इमरान प्रतापगढ़ी की बेहतरीन शायरिया जाने हमारे माध्यम से | वैसे अपने बहुत अलग-2 भाषा जैसे पंजाबी शायरी, उर्दू शायरी, और इस्लामिक शायरी सुनी होंगी लेकिन हम आपको मशहूर शायर सागर सिद्दीकी द्वारा कहे गए दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है |

यहाँ भी देखे : Noshi Gilani Shayari

Sagar 2 Line Shayari

सागर 2 लाइन शायरी : अगर आप शायरियो के बारे में और अधिक जानना चाहे तो हमारे नीचे दिए हुए शायरियो को पढ़े और भेजे अपने दोस्तों को :

अब न आएँगे रूठने वाले
दीदा-ए-अश्क-बार चुप हो जा

ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी

ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
जा चुकी है बहार चुप हो जा

भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है
ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अंधेरा है

तुम गए रौनक़-ए-बहार गई
तुम न जाओ बहार के दिन हैं

ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की तरह काटी है
जाने किस जुर्म की पाई है सज़ा याद नहीं

यहाँ भी देखे : Parveen Shakir Shayari

Saghar Siddiqui Ghazal

सागर सिद्दीकी ग़ज़ल : सागर सिद्दीकी साहब की ग़ज़ल को जानने के लिए आप हमारे दिए ग़ज़ल को पढ़िये और प्रेरणादायक शायरियो को जाने :

छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया

दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया

एक नग़्मा इक तारा एक ग़ुंचा एक जाम
ऐ ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-दौराँ तुझे मेरा सलाम

ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं
लोग अब ज़िंदगी के मुजरिम हैं

जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में
इक होश की साअत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए

Sagar 2 Line Shayari

Saghar Siddiqui Poetry Facebook

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया

जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी
उन मोहब्बत की रिवायात ने दम तोड़ दिया

जिन से ज़िंदा हो यक़ीन ओ आगही की आबरू
इश्क़ की राहों में कुछ ऐसे गुमाँ करते चलो

जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई
उस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है

जो चमन की हयात को डस ले
उस कली को बबूल कहता हूँ

यहाँ भी देखे : Qateel Shifai Shayari

Saghar Siddiqui Ghazals Urdu

काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया

कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र
आज वो रौनक़-ए-बाज़ार नज़र आते हैं

ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में
ज़िंदगी का वक़ार देखा है

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

नग़्मों की इब्तिदा थी कभी मेरे नाम से
अश्कों की इंतिहा हूँ मुझे याद कीजिए

 

You have also Searched for : 

sagar siddiqui 2 lines poetry
saghar siddiqui poetry in urdu books
saghar siddiqui ghazals mp3
saghar siddiqui poetry images
saghar siddiqui history in urdu
sagar poetry in urdu
saghar siddiqui poetry pic

 

Contents

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

you can contact us on my email id: harshittandon15@gmail.com

Copyright © 2016 कैसेकरे.भारत. Bharat Swabhiman ka Sankalp!

To Top