धार्मिक (आस्था)

Ramakrishna Jayanti

रामकृष्ण जयंती : रामकृष्ण परमहंस जी एक सिद्ध पुरुष थे इनकी जिनकी तारीफ की जाए कम है यह एक विचारधारक और कर्मठ व्यक्ति थे इनका पूरा जीवनकाल ईश्वर की साधना में बीत क्योंकि इसको बचपन से ईश्वर को देखने की इच्छा थी इसलिए इन्होंने ईश्वर की कड़ी साधना की | वह मानवता के पुजारी थे ईश्वर की भक्ति के लिए इन्होंने अपना पूरा जीवन त्याग दिया और इसके फलस्वरूप उन्हें ज्ञात हुआ की संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं इसलिए इन्हें धर्म प्रवर्तक भी कहा जाता है |

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Ramakrishna Paramahamsa Stories

रामकृष्ण परमहंस स्टोरीज़ : हिंदी पंचांग के अनुसार रामकृष्ण जयंती फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को पड़ती है इसलिए 2020 में ये जयंती 28 फरवरी को है क्योंकि हिन्दू केलिन्डर के अनुसार इसी दिन रामकृष्ण जी पैदा हुए थे संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम गदाधर था। पिताजी के नाम खुदिराम और माताजी के नाम चन्द्रमणीदेवी था सात वर्ष की अल्पायु में रामकृष्ण जी के पिता चल बसे | स्वामी विवेकानंद जी ने इन्हें अपना गुरु माना और इनके विचारो से संतुष्ट होकर उन्होंने परमहंस रामकृष्ण के नाम पर ही रामकृष्ण मिशन की स्थापना की |

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Ramakrishna Paramahamsa Death

रामकृष्ण परमहंस डेथ : जीवन के अंतिम चरण में भगवान का यह दूत बीमार से बुरी तरह से जकड गया उनके शिष्यो ने उन्हें कई बार समझाया की अपनी सेहत पर ध्यान दे लेकिन वो अज्ञान समझ कर उनकी बात को ताल देते है तभी एक समय वो आया जब यह महँ विचारधारक इस दुनिया से सदैव के लिए अस्त हो गया उनकी मृत्यु 16 अगस्त 1886 में हुई |

Ramakrishna Jayanti

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Ramakrishna Paramahamsa Quotes

रामकृष्ण परमहंस कोट्स : ये रामकृष्ण जी द्वारा कही कुछ महत्वपूर्ण बाते जो आपके ईश्वर का दीवानी बना देती है जो उनके शीशो के लिए एक मिसाल के रूप में कार्य करती है :

शुद्ध ज्ञान और शुद्ध प्रेम एक ही चीज हैं। ज्ञान और प्रेम से जिस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता हैं वो एक ही हैं और इसमें भी प्रेम वाला रास्ता ज्यादा आसान है।

बंधन तो का मन है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘ मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे।

सत्य बताते समय बहुत ही एक्राग और नम्र होना चाहिए क्योकि सत्य के माध्यम से भगवान का अहसास किया जा सकता हैं।

यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनो, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों |

भगवान हर जगह है और कण-कण में हैं, लेकिन वह एक आदमी में ही सबसे अधिक प्रकट होते है, इस स्थिति में भगवान के रूप में आदमी की सेवा ही भगवान की सबसे अच्छी पूजा है।

भगवान को सभी पथो और माध्यमों के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, सभी धर्म सच्चे और सही हैं। महत्वपूर्ण बात यह यह कि आप उस तक उस तक पहुँच पाते हैं या नहीं। आप वहां तक जानें के लिए कोई भी रास्ता अपना सकते हैं रास्ता महत्व नहीं रखता।

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