राम नवमी : राम नवमी का पर्व हमारे दॆश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है राम नवमी वैसे तो हर साल के में दो बार आती है इसलिए अभी हम बाते कर रहे है चैत्र नवरात्रि की राम नवमी की यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है इस दिन से ही विक्रम संवत का प्रारम्भ हुआ था इस दिन में हम लगातार नौ दिन माता के नौ रूपो की वंदना करते है और उनके लिए व्रत भी रखते है | हिन्दू धर्म में यह दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है वैसे हम आपको बताते है की इस दिन विक्रम संवत प्रारम्भ होता है ठीक उसी के नैव दिन भगवन राम का जन्मोत्सत्व भी मनाया जाता है तभी इस पर्व को राम नवमी के नाम से जाना जाता है | तो आज हम आपको राम नवमी के बारे में जानकारी देते है की क्या होता है इस पर्व में |
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राम नवमी 2020 : राम नवमी का पर्व हिन्दू धर्म में बड़ी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है साल 2020 में यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को नवमी को मनाया जाता है तो आप जाने इस त्यौहार के बारे में यह त्यौहार साल 2020 में नवरात्रि के नवे दिन 5 अप्रैल को है |
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राम नवमी कथा इन हिंदी : राम नवमी के दिन कथा का आयोजन भी किया जाता है जिसमे की श्रीराम जी के वनवास जाने की कहानी का वर्णन किया जाता है क्योंकि यह दिन भगवान राम के दिन के रूप में मनाया जाता है इसलिए इस दिन भगवान राम की वंदना भी की जाती है और राम नवमी का व्रत भी रखा जाता है |
राम नवमी पूजा विधि इन हिंदी : रामनवमी के दिन हिन्दू धर्म के लोग अपने घरो में पूजा का आयोजन करते है इसके लिए आपको रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख लेकर इसकी पूजा करनी होगी इसके लिए पूजा वाले घरो में कोई स्त्री घर के सभी लोगो को रोली का टीका लगाती है ढुके बाद सभी देवताओ पर जल रोली चढ़ाया जाता है और भोग लगाया जाता है इसके बाद मुर्तीयो पर चावल भी चढ़ाये जाते है और आरती की जाती है और आरती करने के पश्चात सभी लोगो पर गंगाजल छिड़का जाता है |
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राम नवमी इन हिंदी : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी का नाम हमारे देश में आज भी अमर है राम नवमी का पर्व भगवान श्रीराम की स्मृति में ही मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवन राम का जन्म हुआ था भगवन राम विष्णु देवता के अवतार है जिन्हें भगवान विष्णु ने महा दानव अजेय रावण का वध करने के लिए भेज | राम राज्य शांति व समृद्धि की अवधिका ही मूलरूप है रामनवमी के दिन भगवान राम के भक्त भगवान राम को नवमी के दिन उनकी मूर्ति को पलने में झुलाते है और उनके लिए पूजा पाठ का आयोजन भी होता है हिन्दू धर्म में यह भी माना जाता है की अगर इस दिन लोग सरयू नदी में स्नान करे तो लोगो को पुण्य लाभ मिलेगा | श्रीराम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है की वह मर्यादा के पुजारी थे उनके पैदा होने का लक्ष्य धरती में सुख-शांति, और सभी असुरो से धरती को मुक्त कराना था उन्होंने अपने जीवन में कई त्याग दिए |
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