धार्मिक (आस्था)

Radha Ashtami

राधा अष्टमी का व्रत कृष्णा जी की पत्नी राधा जी के जन्म से सम्बंधित है तो हम आपको राधा अष्टमी के बारे में जानकारी देते है की यह व्रत क्यों रखा जाता है ? या इसका व्रत का क्या महत्व है ? या इस व्रत की क्या कथा है ? इसकी पूरी जानकारी आप हमारे माध्यम से जान सकते है | वैसे तो भारत देश एक त्योहारों का देह भी माना जाता है और इसमें कई प्रकार के व्रत रखने का प्रावधान है क्योकि हिन्दू धर्म में कई भगवान होते है और भगवान की भक्ति के लिए हमें उनके लिए उपवास रखना पड़ता है उन्हें में से एक उपवास राधा जी के लिए भी रखा जाता है जो की आपके लिए बेहद फलदायी होता है | हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्र माह की कृष्णा पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है और साल 2017 में यह व्रत 29 अगस्त को रखा जाने का प्रावधान है |

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राधा अष्टमी व्रत कैसे करें

Radha Ashtami Vrat Kaise Kare : राधाष्टमी व्रत रखने के लिए आप नीचे बताये गए तरीको की मदद से आसानी से व्रत रख सकते है और विधिपूर्वक पूजा करके अपने व्रत को सफल बना सकते है :

  1. यह व्रत भी अन्य व्रत की भांति रखा जाता है व्रती इस दिन सुबह उठ कर अपने सभी कार्यो से निवृत्त होकर स्नान करके पवित्र हो जाये और व्रत का प्रण ले |
  2. उसके बाद राधा जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए राधा जी के पूजन के लिए मध्याह्न का समय शुभ माना गया है |
  3. उसके बाद पूजा स्थल में ध्वजा, पुष्पमाला,वस्त्र, पताका, तोरणादि तथा मिष्ठानो तथा फलो का प्रयोग करना चाहिए |
  4. पूजा स्थल पर राधा कृष्णा जी की मूर्ति स्थापित करे तथा मंडप को पांच रंगो से सजाये |
  5. उसके बाद पूजा सामग्री के साथ विधिपूर्वक राधा जी की आरती गाकर भक्तिभाव से उनकी वंदना करे |
  6. उसके बाद दिन भर उपवास रखे तथा कुछ न खाये केवल दिन में एक बार फलाहार कर सकते है और मंदिर में दीपदान करे |

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Radha Ashtami

राधाष्टमी कथा

Radhashtami Katha : राधाष्टमी की कथा के अनुसार यह अष्टमी उनके व्रत से सम्बंधित है पदपुराण के अनुसार इसमें राधा जी राजा वृषभानु गोप की पुत्री थी और इनकी माता का नाम कीर्ति था पदपुराण के अनुसार जब राजा यज्ञ की तयारी कर रहे है तब वह यज्ञ स्थान की सफाई कर रहे थे तब इन्हे सफाई करते समय भूमि कन्या के रुप में इन्हें राधाजी मिली तभी से राजा वृषभानु ने इन्हे अपनी पुत्री स्वीकार करके इनका पालन पोषण किया |

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राधा अष्टमी का महत्व

Radha Ashtami Ka Mahatv : राधा अष्टमी एक बेहद प्राचीन उत्सव है । यह त्योहार भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में उसी उत्साह से मनाया जाता है। राधा और कृष्ण के बीच प्रेम अनन्त है और केवल सभी संसारिक अशुद्धियों पर काबू पाने के बाद ही समझा जा सकता है। यह अनूठा संगम दर्शाता है कि एक व्यक्ति की आत्मा परम आत्मा के साथ विलीन हो जाती है। राधा व्यक्तिगत आत्मा का प्रतीक है और भगवान कृष्ण सार्वभौमिक आत्मा हैं। यह ज्ञात है कि राधा और कृष्ण एक साथ मौजूद हैं और उन्हें राधाकृष्ण कहा जाता है।

हिंदू ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है, राधा अष्टमी व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक समृद्ध और सुखी जीवन मिलेगा। व्यक्ति अपने सभी बाधाओं को दूर करेगा, भौतिक इच्छाओं को प्राप्त करेगा और अंत में उद्धार प्राप्त करेगा। यह माना जाता है कि राधा अष्टमी उपवास और देवी दुर्गा की पूजा करने के बाद, व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाएगा। उनके दिमाग को नकारात्मक और बुरे विचारों से हटा दिया जाएगा और वह आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करेगा।

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