इतिहास

Prithviraj Chauhan History In Hindi – पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

पृथ्वीराज चौहान हिस्ट्री इन हिंदी Prathviraj Chauhan Ka Itihas : पृथ्वीराज चौहान एक सकुशल व पराक्रमी योद्धा के साथ एक अत्यंत साहसी भी थे उन्हें धरती का वीर योद्धा भी कहा जाता है वह हिन्दू धर्म के अंतिम राजा थे उनके बाद कोई भी हिन्दू राजा उनकी जगह नहीं ले पाया | पृथ्वीराज चौहान मात्र 15 वर्ष की आयु में ही राज्य सिंघासन के पद पर आरूढ़ हुए जिसके लिए उनके वयस्क होने तक उनकी माता कर्पूरदेवी ने सरंक्षिका के तौर पर उनका साथ दिया | पृथ्वीराज हिन्दुओ के के पराक्रमी व साहसी राजाओ में से एक थे जिनके बारे में आज पूरा विश्व जनता है इसीलिए हम आपको इतिहास के कुछ पन्नो में से उनकी कुछ महत्वपूर्ण कहानियां बताते है और उनके बारे में बताते है |

प्रारंभिक जीवन
पृथ्वीराज चौहान जी का जन्म 1149 ईंसवी में हुआ था और इनके पिता का नाम सोमेश्वर तथा माता का नाम कर्पूरदेवी था उनके पिता सोमेश्वर अजमेर के महाराज थे और वह अजमेर राज्य में ही शासन किया करते थे | मात्रा 15 वर्ष की आयु में ही उनके सर से पिता का साया उठ गया और उन्हें राजगद्दी पर बैठा दिया गया इसके अलावा उनके नाना का शासन दिल्ली राज्य पर था उनके कर्पूरदेवी के अलावा कोई और संतान नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और उनके नाना की मृत्यु के पश्चात् पृथ्वीराज का राज्य अभिषेक हुआ तथा उन्हें दिल्ली के शासन की की जिम्मेदारी का कार्यभार सौंपा गया |

यह भी देखे : Rani Padmavati History – Padmavati Story In Hindi

Sanyogita History In Hindi

पृथ्वीराज चौहान का विवाह संयोगिता के साथ
पृथ्वीराज का विवाह कन्नौज के शासक राजा जयचंद्र की पुत्री संयोगिता के साथ उनके पिता की बिना मर्ज़ी से हुआ था | पृथ्वीराज एक अत्यधिक गौरवशाली राजा थे जिस कारणवश अनेक हिन्दू राजा भी उनसे ईर्ष्या-भाव रखते थे उन्ही में से एक राजा जयचंद्र भी थे | राजा जयचंद्र ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए स्वयंवर करने का निश्चय किया और उसमे पुरे भारत के सभी राजाओ को बुलाया गया किन्तु पृथ्वीराज को नहीं बुलाया गया था | लेकिन राजकुमारी संयोगिता व राजकुमार पृथ्वीराज चौहान एक दूसरे से प्यार करते थे उनके प्यार का कारण था दोनों ने एक चित्रकार के पास एक-दूसरे के चित्र देख लिया जिसके कारणवश दोनों में प्रेम हो गया |

दोनों ने एक दूसरे से विवाह करने का निश्चय कर लिया उसके बाद जब स्वयंवर हो रहा था तो राजा जयचंद्र ने पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए उनकी प्रतिमा द्वारपालक के रूप में द्वार पर लगा दी | जब पृथ्वीराज चौहान को इस बात का पता लगा तो वह बिना आमंत्रित हुए भी उस स्वंयवर में शामिल हुए तथा वहां से राजकुमारी संयोगिता की मर्ज़ी अनुसार उन्हें बंदी बना कर ले गए और अपने दिल्ली राज्य में आकर दोनों ने एक दूसरे से विवाह कर लिया जिनका प्रेम आज भी एक मिसाल के तौर पर याद किया जाता है |

यह भी देखे :1857 के स्वतंत्रता सेनानी

तराइन का युद्ध

पृथ्वीराज चौहान व मुहम्मद गौरी के बीच दो युद्ध हुए थे जिसमे की दोनों युद्ध तराइन के मैदान में हुए थे इसीलिए इस युद्ध को इतिहास के पन्नो में तराइन के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है | जिसमे की पहला युद्ध पृथ्वीराज ने जीता तथा दूसरा युद्ध मुहम्मद गौरी ने जीता |

पृथ्वीराज और मुहम्मद गौरी का प्रथम युद्ध
मुहम्मद गौरी एक विदेशी घुसपैठिया था जो की भारत पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से भारत में घुसा था वह एक सर्वशक्तिशाली था और उसने बड़े-2 योद्धाओ को धूल चटायी थी | इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वह पहले पंजाब के भंटिडा राज्य पर आक्रमण कर देता है जो की पृथ्वीराज चौहान के राज्य की अंतिम सीमा थी उसके बाद वह दिल्ली पर आक्रमण कर देता है |

उसके बाद मुहम्मद गौरी व पृथ्वीराज चौहान के बीच भयंकर युद्ध होता है | इस युद्ध में मुहम्मद गौरी अपनी संपूर्ण सेना के साथ पृथ्वीराज चौहान से युद्ध लड़ रहे थे लेकिन पृथ्वीराज चौहान एक निडर व साहसी राजा थे उस युद्ध में पृथ्वीराज ने मुहम्मद गौरी को बुरी तरह से लहूलुहान कर दिया युद्ध हारते देख मुहम्मद गौरी वहां से भागने में कामयाब हुआ |

राजा जयचंद्र की गद्दारी
मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच दो बार युद्ध हुआ था लेकिन प्रथम युद्ध में तो पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई थी लेकिन दूसरे युद्ध में उनकी हार हुई ये सब हुआ उनके ससुर और कन्नौज के शासक राजा जयचंद्र की वजह से क्योकि वह संयोगिता के कारणवश उनसे ईर्ष्या रखता था | इसीलिए जब राजा जयचंद्र को मुहम्मद गौरी को यह बात पता लगी तो पहले तो उसने सभी हिन्दू शासको को पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ भड़का दिया और उसके बाद खुद जाकर मुहम्मद गौरी के साथ मिल गए और पृथ्वीराज चौहान को युद्ध के लिए ललकारने लगे |

Prithviraj Chauhan History In Hindi

यह भी देखे : shivaji maharaj history in hindi

मोहम्मद गौरी को किसने मारा

पृथ्वीराज और मुहम्मद गौरी का दूसरा युद्ध
प्रथम युद्ध के दो साल बाद राजा जयचंद्र के सहयोग से मुहम्मद गौरी ने एक बार फिर पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण करनी की योजना बनायीं | प्रथम युद्ध की तरह ही यह युद्ध भी बहुत दिनों तक चला तथा बहुत भीषण युद्ध हुआ जिसमे की दोनों ही सेनाये एक से बढ़ कर एक लग रही थी |
लेकिन इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को मात मिलनी थी क्योकि उनके मुहम्मद गौरी के पास अच्छे घुड़सवार थे जिस कारणवश उन्होंने अपनी तेज़ी से पृथ्वीराज चौहान की सेना को चार तरफ से घेर लिया जिस कारणवश उनकी सेना न तो आगे बढ़ पा रही थी न पीछे हैट पा रही थी | अंत में युद्ध का फैसला मुहम्मद गौरी के पक्ष में गया और उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को जख्मी करके बंदी बना लिया |

यह भी देखे : कहानी राजा हरिश्चंद्र की

Prithviraj Chauhan Death Story In Hindi Language

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु
युद्ध होने के पश्चात मुहम्मद गौरी और राजा जयचंद्र पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना कर उनके राज्य में ले आये उसके और वहां लेकर उन्हें मृत्युदंड देने के बजाय अनेक प्रकार की शारीरिक यातनाये दी जा रही थी | उसके बाद कन्नौज पर शासन के उद्देश्य से मुहम्मद गौरी ने राजा जयचंद्र की भी मृत्यु कर दी |पृथ्वीराज के साथ उनका बचपन का मित्र चंदरबरदाई को भी यहाँ कैद में रखा गया था शारीरिक यातनाये देने की वजह से मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को अँधा भी कर दिया |
उसके बाद उनकी मृत्यु भी पास थी इसीलिए उनसे उनकी अंतिम इच्छा पूछी गयी तो उन्होंने चंदरबरदाई के शब्दो पर शब्दभेदी बाण का उपयोग करने की इच्छा प्रकट की फिर चंदरबरदाई द्वारा बोले गए दोहे के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी की हत्या कर दी उसके बाद पृथ्वीराज चौहान व चंदरबरदाई ने आत्मदाह कर लिया |

पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता चौहान मृत्यु

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के पश्चात जब उनकी पत्नी संयोगिता को यह संचार मिला तो उन्होंने भी अपने प्राणो का त्याग कर दिया तथा एक वीरांगना की तरह सती हो गयी और मृत्युलोक को प्राप्त हो गयी |

Contents

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

you can contact us on my email id: harshittandon15@gmail.com

Copyright © 2016 कैसेकरे.भारत. Bharat Swabhiman ka Sankalp!

To Top