धार्मिक (आस्था)

Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत : स्कंद पुराण के अनुसार हर माह के कृष्णा और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन संध्याकाल के समय को “प्रदोष” कहा जाता है इस व्रत का अलग ही महत्व होता है यह व्रत हर महीने में आता है और बार यह महा शिवरात्रि के दिन ही पड़ रहा है तो आज हम वैसे तो कई व्रत होते है लेकिन यह व्रत कुछ मायनो में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है तो आज हम आपको इस व्रत के बारे में ही कुछ जानने योग्य बाते बताते है की ये व्रत क्यों रखा जाता है और कैसे रखा जाता है वैसे तो इस व्रत को रखने से इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते है इस व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है |

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Pradosh Vrat Dates 2020

Pradosh Vrat 2020 : पुराणों के अनुसार प्रदोष का व्रत दोनों पक्षो कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन संध्या में पड़ता है प्रदोष व्रत 2020 डेट्स में भी है जिनकी डेट्स यानि तारिख निम्न प्रकार है :

दिनाँक दिन हिन्दु चांद्र मास
10 जनवरी मंगलवार पौष शुक्ल पक्ष
25 जनवरी बुधवार माघ कृष्ण पक्ष
8 फरवरी बुधवार माघ शुक्ल पक्ष
24 फरवरी शुक्रवार फाल्गुन कृष्ण पक्ष
10 मार्च शुक्रवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष
25 मार्च शनिवार चैत्र कृष्ण पक्ष
8 अप्रैल शनिवार चैत्र शुक्ल पक्ष
24 अप्रैल सोमवार वैशाख कृष्ण पक्ष
8 मई सोमवार वैशाख शुक्ल पक्ष
23 मई मंगलवार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
6 जून मंगलवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
21 जून बुधवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष
6 जुलाई बृहस्पतिवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष
21 जुलाई शुक्रवार श्रावण कृष्ण पक्ष
5 अगस्त शनिवार श्रावण शुक्ल पक्ष
19 अगस्त शनिवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष
3 सितंबर रविवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष
17 सितंबर रविवार आश्विन कृष्ण पक्ष
3 अक्तूबर मंगलवार आश्विन शुक्ल पक्ष
17 अक्तूबर मंगलवार कार्तिक कृष्ण पक्ष
1 नवंबर बुधवार कार्तिक शुक्ल पक्ष
15 नवम्बर बुधवार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
1 दिसंबर शुक्रवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
15 दिसंबर शुक्रवार पौष कृष्ण पक्ष
30 दिसंबर शनिवार पौष शुक्ल पक्ष

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Pradosh Vrat Dates 2020

Pradosh Vrat Vidhi

प्रदोष व्रत विधि के लिए आपको इन सभी जानकारी के साथ ही आगे बढ़ना है और अपने इस व्रत को पूरा करना है :

  • प्रदोष व्रत करने के लिए आपको प्रत्येक त्रयोदशी को प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठना |
  • इसके बाद आपको भगवान शिव का स्मरण करना है |
  • और कोई भी आहार नहीं लिया जाता है |
  • उपवास रखने के पश्चात सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान कर के श्वेत रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है |
  • पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है |
  • और इस स्थल में पांच रंगों के साथ रंगोली बनायीं जाती है |
  • इस व्रत को करने के लिए यानि आराधना करने के लिए आपको कुशा के आसन का प्रयोग अनिवार्य है |
  • भगवान शिव की पूजा करने के लिए उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख कलारना अनिवार्य पूजन में भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए |

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Pradosh Vrat Significance

Pradosh Vrat Benefits : प्रदोष व्रत सिग्निफ़िकेन्स यानि प्रदोष का व्रत महत्व इनके दिन के अनुसार इसका फल आपको मिलता है ये इन व्रत का लाभ निम्न प्रकार से दिन के हिसाब से आपको मिलता है :

  • रविवार प्रदोष – रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग और लंबी उम्र और मनोकामना पूरी होती है
  • सोमवार प्रदोष – सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है
  • मंगलवार प्रदोष – मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं।
  • बुधवार प्रदोष – बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है।
  • बृहस्पतिवार प्रदोष – बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है।
  • शुक्र प्रदोष – शुक्र प्रदोष व्रत से सभाग्य की वृद्धि होती है।
  • शनि प्रदोष – शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है।

 

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