फाल्गुन पूर्णिमा : हिंदी पंचांग के अनुसार पूर्णिमा मास की 15 वी और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है और इस दिन चन्द्रमा आकाश में पूरा दिखाई देता है इस दिन को पुराणों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है वैसे तो फाल्गुन बसंत का महीना भी होता है इसी दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है वैसे तो हर पुरे साल में हर महीने पूर्णिमा को कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है जिस तरह होली 2020 में 12 मार्च की है उसी प्रकार फाल्गुन पूर्णिमा भी 12 मार्च की ही पड़ रही है |
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Falgun Month 2020
फाल्गुन मंथ 2020 में फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है इसे बसंत ऋतू का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन बसंत पंचमी की बधाई भी दी जाती है फाल्गुन महीना हिंदी पंचांग का आखरी महीना होता है यह महीना ख़त्म होने के बाद नया साल शुरू हो जाता है और इस महीने का सबसे बड़ा दिन होता है पूर्णिमा यह इस महीने की 15 वीं तिथि होती है और फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होली मनाई जाती है 2020 में फाल्गुन पूर्णिमा 12 मार्च को है |
Phalgun Month Significance
फाल्गुन मंथ सिग्निफ़िकेन्स यानि फाल्गुन महीने का महत्व : फाल्गुन मास हिन्दू धर्म का अत्यंत ही धार्मिक महीना माना जाता है क्योंकि इस महीने में अनेक धार्मिक त्यौहार जैसे पड़ते है, महा शिवरात्रि और होली जैसे बड़े पर्व भी इसी महीने में पड़ते है और यह मास भगवान भोले नाथ का मास भी माना जाता है इसलिए शिव पूजा भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उनके द्वारा भक्त प्रह्लाद की रक्षा होलिका नाम की राक्षसनी से की गयी थी और होलिका दहन हुआ था और उसके अगले दिन ही होली का कार्यक्रम होली के नए-2 और रंगीन रंगों से किया जाता है | इस महीने का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई थी और हर बार पूर्णिमा के दिन चंद्र अपने पुरे रूप में प्रकट होता है इस दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा की पूजा भी की जाती है |
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फाल्गुन पूर्णिमा व्रत विधि
Phalgun Purnima Vrat Vidhi : इस दिन इन सभी कार्यो को करने से ही आपको फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत का लाभदायक फल मिलता है तो जाने की तरह से आप इस व्रत की पूजा करते है :
- इस दिन यानि फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन सभी घरो में लकडियो के उपलो को इकठ्ठा करके होली बनाये |
- और विधि पूर्वक घर पर बने पकवानों से उस होलिका की पूजा करनी चाहिए |
- उसके बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करना चाहिए |
- होलिका दहन के समय ही होलिका के चारो और परिक्रमा लगानी चाहिए |
- दहन करते समय भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद की मंगलकामना और राक्षसी होलिका को भस्म करने के बारे में सोचना चाहिए।
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