धार्मिक (आस्था)

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत विधि 2017 – स्टोरी या कथा

Pausha Putrada Ekadashi Vrat Vidhi 2020 – Story Ya Katha : भारत देश त्योहारों व व्रतों का देश है इस देश में एकादशी के व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है और हर साल में 24 एकादशियाँ पड़ती है और हर एकादशी का व्रत अपने आप में एक अलग महत्व रखता है | वैसे एकादशी का व्रत अपने पापो को ख़त्म करने के लिए रखा जाता है और उसी तरह पौष माह में पुत्रदा एकादशी पड़ती है जिसमे की जिसका महत्व पुत्र प्राप्ति को दिया जाता है यानि की जिस व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति की इच्छा होती है वही व्यक्ति इस व्रत को रखता है और इस व्रत के प्रभाव से उन्हें पुत्र प्राप्ति हो जाती है |

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पुत्रदा एकादशी 2020

Putrada Ekadashi 2020 : हर साल श्रावण और पौष माह की एकादशी तिथि के दिन ही भगवन विष्णु के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है यह साल में दो बार आती है | लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2020 में शुक्रवार के दिन 29 दिसंबर के दिन रखे जाने का प्रावधान है |

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पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

Putrada Ekadashi Vrat Vidhi : पुत्रदा एकादशी के दिन आपको व्रत किस प्रकार से रखना है इसकी पूजा-विधि क्या है ? इसके बारे में जानकरी पाने के लिए आप नीचे बताई गयी जानकारी को पढ़ सकते है :

  1. एकादशी के व्रत की दशमी तिथि से ही कर देनी चाहिए |
  2. दशमी के दिन किसी भी प्रकार का मांस-मदिरा व प्याज-लहसून से बनी हुई चीज़ो का सेवन न करे |
  3. उसके बाद एकादशी के दिन सूर्यास्त से पहले उठ कर पवित्र नदी में स्नान करे व व्रत का संकल्प ले |
  4. प्रसाद, धूप, दीप के साथ पुत्रदा एकादशी की कथा को सुने |
  5. उसके बाद दिन भर आपको उपवास रखना है व रात में फलाहार करना है |
  6. फिर आप अगले दिन द्वादशी के दिन सुबह प्रातः स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दे |
  7. उसके बाद सभी ब्राह्मणो को अपनी श्रद्धानुसार दान करे व भोजन करवाए |

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत विधि 2020 - स्टोरी या कथा

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पुत्रदा एकादशी की कथा | Putrada Ekadashi Story

Putrada Ekadashi Ki Katha : भव्य पुराण पुत्रदा की कहानी को दर्शाता है जैसा कि भगवान कृष्ण द्वारा राजा युधिष्ठिर को बताया गया था। एक बार भद्रावती राज्य में सुकेतुमान नाम का राजा और उनकी रानी शैव्या थी जिनके कोई भी संतान नहीं थी | इसीलिए वह राजा अत्यंत परेशान रहता है की उसके मरने के बाद उन्हें पिंडदान कौन करेगा यही विचार बार-2 उसके मन में आते थे | उसके बाद अपने दुःख से चिंतित होकर अपना राज्य छोड़ दिया व जंगल में रहने लगा |

वह जंगल में भटकते हुए एक ऋषि-मुनियो के आश्रम में पहुंचे वहां उन्हें पता चला की वह संत ऋषि दस दिव्य विश्वदेव है | तब राजा ने उन्ही ऋषिओ से सलाह मांगी और अपने दुःख की वजह पूछी की उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए क्या करना होगा ? तब उन्होंने बताया की आपके पिछले जन्म के पापो के कारणवश आपको पुत्र प्राप्ति से वंचित रहना पड़ रहा है जिसके लिए आप पौष माह की एकादशी तिथि के दिन का उपवास विधि पूर्वक करे आपके इस व्रत को करने से आपको जल्द ही पुत्र प्राप्ति होगी |

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