परवीन शाकिर शायरी : परवीन शाकिर जी एक उर्दू की महान कवि और अध्यापक थी इनका जन्म 24 नवम्बर 1952 में पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था आज इनके द्वारा की गयी रचनाये हमारे लिए प्रेरणादायक सिद्ध होती है और इनकी मृत्यु 1994 में 42 साल की उम्र में हो गयी थी तो आज हम आपको परवीन जी द्वारा के द्वारा लिखी गयी कुछ ऐसी ही दिल छूने वाली शायरी बताते है की काबिले तारीफ है उनकी शायरियाँ प्यार के ऊपर है जिनको पढ़ कर लव की फीलिंग आती है तो जानिए उनके दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है |
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Parveen Shakir 2 Line Poetry
परवीन शाकिर 2 लाइन पोएट्री : अगर आप परवीन शाकिर जी की दो लाइन की पोएट्री जानना कहहु तो हमारे इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते है :
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
अब उन दरीचों पे गहरे दबीज़ पर्दे हैं
वो ताँक-झाँक का मासूम सिलसिला भी गया
अब्र बरसते तो इनायत उस की
शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है
अजब नहीं है कि दिल पर जमी मिली काई
बहुत दिनों से तो ये हौज़ साफ़ भी न हुआ
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई
और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई
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Parveen Shakir Romantic Poetry
परवीन शाकिर रोमांटिक पोएट्री : अगर आप किसी को शायराना अंदाज़ में बात करना चाहे या इम्प्रेस करना चाहे तो हमारी रोमांटिक शायरियो को पढ़े :
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं
रोज़ इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे
एक मुश्त-ए-ख़ाक और वो भी हवा की ज़द में है
ज़िंदगी की बेबसी का इस्तिआरा देखना
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
इसी तरह से अगर चाहता रहा पैहम
सुख़न-वरी में मुझे इंतिख़ाब कर देगा
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद
Parveen Shakir Shayari In Hindi
परवीन शाकिर शायरी इन हिंदी : परवीन शाकिर जी की उर्दू की शायरियो को आप हिंदी फॉण्ट में जानना चाहे तो नीचे दी हुई शायरियो को पढ़ सकते है :
कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें
ये कब कहा था कि वो ख़ुश-बदन हमारा हो
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है
चिड़ियों को बहुत प्यार था उस बूढ़े शजर से
कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी
कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
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Parveen Shayari In Urdu
परवीन शायरी इन उर्दू : उर्दू के महान शायर की शायरियो को जानने के लिए परवीन जी की शायरियो के कुछ अंश देख सकते है :
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था
पर क्या करें कि अब के सफ़र ही अजीब था
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बे-वफ़ा पहले से था
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