पापमोचनी एकादशी : पापमोचनी का व्रत हिन्दू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस व्रत को करने के लिए आपको भगवान विष्णु की तपस्या करनी पड़ती है यह व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत इसलिए भी होता है क्योंकि इस व्रत को संपूर्ण करने से व्यक्ति द्वारा किये गए सभी पाप नष्ट हो जाते है और उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है पुराणों के अनुसार यह व्रत मोक्ष के मार्ग को खोलने वाला बताया गया है क्योंकि इस व्रत से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है वैसे ये व्रत बसंत पंचमी और होली को मनाने के बाद पहली एकादशी को ही पड़ता है |
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Papmochani Ekadashi 2020
पापमोचनी एकादशी 2020 : पापमोचनी एकादशी सभी व्रतों से बड़ा व्रत है इस व्रत को रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है यह व्रत हर बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ता है उसी प्रकार 2020 में ये पापमोचनी एकादशी का व्रत 24 मार्च को है |
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Ekadasi Story
एकादशी स्टोरी : प्राचीन कल में एक वन था उस वन में सभी गन्धर्व कन्याये और देवताये विहार करते थे वही एक माधवी नामक ऋषि थे जो की वह शिव की तपस्या करते थे तभी वहाँ कामदेव ने मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा और उस अप्सरा ने अपनी रुप-रंग और नृ्त्य से ऋषि को मोहित करने का प्रयास किया और ऋषि मुनि उसकी अदाओ पर मोहित हो गए और इससे वह अप्सरा ऋषि की तपस्या भंग करने में सफल हुई |
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Papmochani Ekadashi in Hindi
पापमोचनी एकादशी इन हिंदी : ऐसे ही कुछ साल बीतते गए और कुछ वर्षो बाद अप्सरा ने ऋषि से देवता लोक जाने की अनुमति मांगी तभी उनका मोह भंग हुआ तो उन्हें याद आया की वो तो शिव की तपस्या कर रहे थे और उन्होंने गुस्से में आकर अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया | शाप सुन कर मंजूघोषा ने पाप से बचने का उपाय जानने की चेष्टा की तभी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी व्रत रखने को कहा तभी उस व्रत के बाद तुम्हे इस पाप से मुक्ति मिलेगी | इतना कह कर ऋषि वहाँ से अपनी तपस्या के लिए चल दिए | उसके बाद ऋषि और वो अप्सरा दोनों अपने पापो को नष्ट करने के लिए इस पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा और दोनों के पाप नष्ट हो गए |
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पापमोचनी व्रत विधि
Papmochani Vrat Vidhi : इस व्रत को करने के लिए आप निम्न प्रकार से व्रत का पालन करेंगे तो आपका व्रत सफलतापूर्वक पूरा होगा :
- एकादशी व्रत में श्री विष्णु जी का पूजन किया जाता है |
- पापमोचनी एकादशी व्रत करने के लिये व्रतधारी को व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए |
- एकाद्शी व्रत में दिन के समय में श्री विष्णु जी का स्मरण करना चाहिए और रात्रि में भी पूरी रात जाग कर भगवान् विष्णु का पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए |
- व्रत के दिन सूर्योदय काल में उठना चाहिए और स्नान आदि सभी कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए |
- पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठ्कर श्रीमद भागवत कथा का पाठ करना चाहिए |
- व्रत की रात्रि में भी निराहर रहकर जागरण करने से व्रत के पुन्य फलों में वृ्द्धि होती है |
- भगवान श्री विष्णु कि पूजा करने के बाद ब्राह्माणों को भोजन व दक्षिणा देकर करना चाहिए |
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