शायरी (Shayari)

Noshi Gilani Shayari

नोशी गिलानी शायरी : नोशी गिलानी उर्दू पोएट है उनका जन्म 14 मार्च 1964 में पाकिस्तान के बहावलपुर  में हुआ था उसके बाद यह अमेरिका 1995 में सैन फ्रांसिस्को शहर में रही उसके बाद इनकी शादी 2008 में सईद खान से हो गयी उसके बाद यह ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में रहने लगी | इन्होंने अपने जीवनकाल में कई उर्दू की रचनाये की जो की काबिले तारीफ है | तो आज हम आपको नोशी जी की प्रेरणादायक शायरी बताएँगे जो की प्यार भरी है इसके अलावा आप उनके द्वारा लिखे गए दो लाइन के शेर भी जान सकते है और फेसबुक या व्हाट्सएप्प पर अपने दोस्तों को शेयर कर सकते है |

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Noshi Gilani Poetry Facebook

नोशी गिलानी पोएट्री फेसबुक : फ़ेसबुक पर स्टेटस डालने के लिए नोशी गिलानी जी की दी हुई दिल छूने वाली शायरी पढ़े और फेसबुक के अलावा आप उसे व्हाट्सएप्प और इंस्टाग्राम पर भी शेयर कर सकते है :

मैं तन्हा लड़की दयार-ए-शब में जलाऊँ सच के दिए कहाँ तक
सियाहकारों की सल्तनत में मैं किस तरह आफ़्ताब लिक्खूँ

तितलियाँ जुगनू सभी होंगे मगर देखेगा कौन
हम सजा भी लें अगर दीवार-ओ-दर देखेगा कौन

तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती
ख़ुद को इतनी भी अज़िय्यत नहीं दी जा सकती

उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ

Noshi Gilani Shayari

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Noshi Gilani Woh Baat Baat Mein Itna

नोशी गिलानी वो बात बात में इतना : अगर आप नोशी जी की दो लाइन के शेर जानना चाहे तो हमारे यहाँ से जान सकते है और पाए बेहतरीन सन्देश और शेरो शायरी :

उसे लाख दिल से पुकार लो उसे देख लो
कोई एक हर्फ़ जवाब में नहीं आएगा

ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें
मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है

ये सर्दियों का उदास मौसम कि धड़कनें बर्फ़ हो गई हैं
जब उन की यख़-बस्तगी परखना तमाज़तें भी शुमार करना

कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मिरी उम्र-ए-रवाँ
मिरा बचपन मिरे जुगनू मिरी गुड़िया ला दे

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Noshi Gilani 2 Line Poetry

नोशी गिलानी 2 लाइन पोएट्री : 2 लाइन की पोएट्री के लिए आप जान सकते है हमारे नीचे दी हुई शायरियो को पढ़े और शेयर करे :

मैं फ़ैसले की घड़ी से गुज़र चुकी हूँ मगर
किसी का दीदा-ए-हैराँ मिरी तलाश में है

दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन
आँखें पागल हो जाती हैं एक ख़याल से पहले

जलाए रक्खूँ-गी सुब्ह तक मैं तुम्हारे रस्तों में अपनी आँखें
मगर कहीं ज़ब्त टूट जाए तो बारिशें भी शुमार करना

किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
तिरा ज़िक्र मेरी किताब में नहीं आएगा

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