निर्जला एकादशी : निर्जला एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखती है तो आज हम आपको हिन्दू धर्म के प्रमुख एकादशी के व्रत में से एक व्रत निर्जला एकादशी के व्रत के बारे में बताते है | इससे आपको समस्त पापों का नाश हो जाता है | जैसा की हम सभी जानते है की एकादशी हर माह आती है और इससे पहले हम आमलकी एकादशी, विजया एकादशी, जया एकादशी और षटतिला एकादशी पढ़े चुके है | निर्जला एकादशी भी ज्येष्ठा माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवी तिथि को आती है 2020 में अपरा एकादशी का व्रत 5 जून को रखा जाने का प्रावधान है | तो आज हम आपको निर्जला एकादशी के बारे में बताते है की इस व्रत में क्या करना चाहिए या क्या नहीं ? या किस तरह से व्रत रखेंगे या क्या है इस व्रत की कथा इन सबकी जानकारी आप हमारे माध्यम से जान सकते है |
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Nirjala Ekadashi 2020 Date
निर्जला एकादशी 2020 डेट : हिंदी कैलेंडर के अनुसार निर्जला एकादशी भी ज्येष्ठा माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल 2020 में 5 जून को पड़ने का प्रावधान है |
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Ekadashi Vrat Ki Vidhi In Hindi
एकादशी व्रत की विधि इन हिंदी : अगर आप निर्जला एकादशी की व्रत विधि के बारे में जाने की किस तरह से आप इसकी पूजन विधि करेंगे तो जानिए की किस तरीके से पूजा करेंगे :
- निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन सभी तरह के व्रत विधि के नियमो का पालन करना चाहिए |
- एकादशी के दिन “ॐ नमो वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए।
- इस दिन गोदान को विशेष रूप से महत्व देना चाहिए |
- इस दिन दान पुण्य तथा गंगा सनान का अधिक महत्व होता है |
- फिर आपको द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए |
- विधिपूर्वक पूजा करने के बाद ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए तथा कलश देकर उन्हें विदा करना चाहिए |
- उसके बाद व्रत तोड़ने के लिए आप भगवान विष्णु का स्मरण करे और भोजन करे |
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Nirjala Ekadashi In Hindi
निर्जला एकदशी इन हिंदी : भीम ने महर्षि व्यास से कहा कि युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत रखते है लेकिन मै बिना कुछ खाये पीये नहीं रह सकता इसीलिए आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताये जिससे कि मुझे ज्यादा परेशानी भी न हो और मुझे सभी एकादशी के व्रत का फल प्राप्त हो जाये |
महर्षि व्यास जानते थे कि भीम के उदर में बृक नामक अग्नि है इसीलिए अधिक भोजन करने पर ही उनके पेट कि भूख नहीं मिटती तब उन्होंने भीम जी को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का व्रत रखने कि सलाह दी और कहा कि आप जीवन पर्यन्त इसी व्रत का पालन करो | फिर भीम ने बड़ी सह से इस व्रत का पालन किया और व्रत को सफल बनाया | जिसके फलस्वरूप भीम सज्ञाहीन हो गए तब पांडवो ने गगाजल, तुलसी चरणामृत प्रसाद, देकर उनकी मुर्छा दुर की | तभी से इस व्रत को निरजला एकादशी के वफरत के नाम से जाना जाता है |
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