शायरी (Shayari)

Nida Fazli Shayari

निदा फ़ाज़ली शायरी : निदा फ़ाज़ली उर्दू और हिंदी के महान शायरों में से एक है उनका पूरा नाम मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली था इनका जन्म 12 अक्टूबर 1938 में ग्वालियर में हुआ था यह एक भारतीय थे उसके बावजूद इन्हें उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान था | इनकी मृत्यु 8 फरवरी 2020 में मुम्बई में हुई | तो आज हम आपको मुनीर जी के द्वारा लिखी गयी कुछ ऐसी ही दिल छूने वाली शायरी बताते है की काबिले तारीफ है उनकी शायरियाँ प्यार के ऊपर है जिनको पढ़ कर लव की फीलिंग आती है तो जानिए उनके दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है | तो आप नीचे दी हुई शायरी के माध्यम से इनके व्यक्तित्व के बारे में जान सकते है |

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Nida Fazli Two Line Shayari

निदा फ़ाज़ली टू लाइन शायरी : निदा फ़ाज़ली जी द्वारा कई शायरियां की गयी लेकिन उनकी शायरियो के कुछ अंश आप यहाँ से जान सकते है :

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

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Nida Fazli Shayari On Life

निदा फ़ाज़ली शायरी ऑन लाइफ : अगर आप फ़ाज़ली जी की शायरियां जीवन के ऊपर जानना चाहे तो नीचे दी हुई शायरियो को पढ़ सकते है :

इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ
लफ़्ज़ों से जुदा हो गए लफ़्ज़ों के मआनी

ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन
सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं

Nida Fazli Shayari

Nida Fazli Shayari in Urdu

निदा फ़ाज़ली शायरी उर्दू : उर्दू के विश्व विख्यात शायर निदा जी द्वारा कुछ अनसुनी शायरियां, जिन्हें आप हमारे माध्यम से हिंदी फॉण्ट में पा सकते है :

ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख

ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त
वो शख़्स था ज़ियादा मगर आदमी था कम

किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है

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Nida Fazli Ghazals

निदा फ़ाज़ली ग़ज़ल : ग़ज़ल के लिए आप निदा जी के द्वारा दिल छूने वाली ग़ज़ल देख सकते है और अपने दोस्तों को फेसबुक या व्हाट्सएप्प पर शेयर कर सकते है :

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
तकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए

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