मोहसिन ज़ैदी शायरी : मोहसिन जी का पूरा नाम सैयद मोहसिन रज़ा ज़ैदी था इनका जन्म 10 जुलाई 1935 में उत्तर प्रदेश के जिले बहराइच में हुआ था वे एक उर्दू के कवि एक अर्थशाष्त्री थे इनकी मृत्यु 3 सितंबर 2003 में लखनऊ में हुई थी | तो आज हम आपको मोहसिन जी के द्वारा कही गयी कुछ ऐसी दिल छूने वाली शायरी बताएँगे जो की प्यार भरी है इसके अलावा आप उनके दो लाइन के शेर पढ़िए जो की काफी प्रेरणादायक भी है |
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Mohsin Zaidi Shayari in Hindi
मोहसिन ज़ैदी शायरी इन हिंदी : अगर आप ज़ैदी की शायरियो को हिंदी में जानना चाहे तो नीचे दी हुई शायरियो को पढ़े और पाए बेहतरीन शायरियो का कलेक्शन :
अगर चमन का कोई दर खुला भी मेरे लिए
सुमूम बन गई बाद-ए-सबा भी मेरे लिए
बिछड़ने वालों में हम जिस से आश्ना कम थे
न जाने दिल ने उसे याद क्यूँ ज़ियादा किया
दूर रहना था जब उस को ‘मोहसिन’
मेरे नज़दीक वो आया क्यूँ था
हम ने भी देखी है दुनिया ‘मोहसिन’
है किधर किस की नज़र जानते हैं
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Mohsin Zaidi Shayari in Urdu
मोहसिन ज़ैदी शायरी इन उर्दू : उर्दू के शायरों में प्रसिद्ध शायर मोहसिन ज़ैदी जी के द्वारा लिखी गयी उर्दू की शायरियाँ जो की दिल छूने वाली है :
हर शख़्स यहाँ गुम्बद-ए-बे-दर की तरह है
आवाज़ पे आवाज़ दो सुनता नहीं कोई
जान कर चुप हैं वगरना हम भी
बात करने का हुनर जानते हैं
जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई
वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ
कोई अकेला तो मैं सादगी-पसंद न था
पसंद उस ने भी रंगों में रंग सादा किया
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Mohsin Zaidi Two Line Shayari
मोहसिन ज़ैदी टू लाइन शायरी : ज़ैदी जी की शॉर्ट और दो लाइन की शायरियो को पढ़ने के लिए आप हमारी नीचे दी हुई शायरियो को पढ़ सकते है और फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है :
कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है
किसी के साथ दरिया जा रहा है
लिबास बदले नहीं हम ने मौसमों की तरह
कि ज़ेब-ए-तन जो किया एक ही लबादा किया
सुनते हैं कि आबाद यहाँ था कोई कुम्बा
आसार भी कहते हैं यहाँ पर कोई घर था
ये ज़ुल्म देखिए कि घरों में लगी है आग
और हुक्म है मकीन निकल कर न घर से आएँ
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