शायरी (Shayari)

Mirza Ghalib Shayari

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी : मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के एक महान शायर है इनका जन्म 17 दिसम्बर 1796 में आगरा में हुआ था इनका नाम भी आज के जमाने में काफी लोकप्रिय है उर्दू के अलावा ये फ़ारसी भषा ,इ नजो शायर करते थे तो आज हम आपको ग़ालिब के द्वारा कही गयी कुछ दिल छूने वाली शायरी से अवगत करते है जो की कई महान उर्दू के शायरों जैसे आनिस मोईन और अब्दुल हामिद अदम जैसे शायरों से भी बढ़ कर मानी जाती है | इसके अलावा हम आपको बताते है उनके दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है |

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Ghalib Shayari In Urdu

ग़ालिब शायरी इन उर्दू : दुनिया भर में प्रसिद्ध महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जी द्वारा लिखी गयी ग़ालिब शायरी के माध्यम से आप उनके बारे में और अधिक जान सकते है :

आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब’
कोई दिन और भी जिए होते

आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना ‘ग़ालिब’
किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बअ’द

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे

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Ghalib Shayari In Hindi Font

ग़ालिब शायरी इन हिंदी फॉण्ट : वैसे तो ग़ालिब जी की कई शायरियां उर्दू में लिखी हुई है लेकिन हम आपको उनकी उर्दू की शायरियां हिंदी फॉण्ट में बताते है :

आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ अन्क़ा है अपने आलम-ए-तक़रीर का

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से
कहने जाते तो हैं पर देखिए क्या कहते हैं

Ghalib Shayari In Urdu

Mirza Ghalib Sad Shayari in Hindi

मिर्ज़ा ग़ालिब सैड शायरी इन हिंदी : अगर आपका सैड हो तो आप मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ चुनिंदा सैड शायरियां पढ़े जिनको पढ़ कर आपको काफी कुछ सीखने को मिलता है :

आज वाँ तेग़ ओ कफ़न बाँधे हुए जाता हूँ मैं
उज़्र मेरे क़त्ल करने में वो अब लावेंगे क्या

आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग

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Ghalib Shayari On Sharab

ग़ालिब शायरी ऑन शराब : महान उर्दू के शायर ग़ालिब जी द्वारा शराब के ऊपर भी कई तरह की शायरियां लिखी गयी है जिनमे से कुछ प्रसिद्ध शायरियां निम्न प्रकार है :

आतिश-ए-दोज़ख़ में ये गर्मी कहाँ
सोज़-ए-ग़म-हा-ए-निहानी और है

अब जफ़ा से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाह
इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जाना

आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में
‘ग़ालिब’ सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है

आँख की तस्वीर सर-नामे पे खींची है कि ता
तुझ पे खुल जावे कि इस को हसरत-ए-दीदार है

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