शायरी (Shayari)

Meer Taqi Meer Shayari

मीर तक़ी मीर शायरी : ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी “मीर” एक बहुत प्रसिद्ध उर्दू और फ़ारसी भाषा के कवि थे इनका जन्म 1722 में आगरा में हुआ था और इनकी मृत्यु 1810 में हुई तो आज हम आपको मीर तक़ी जी द्वारा कही गयी ऐसी ही कुछ बेहतरीन शायरियां बताते है जो की आपका दिल छू लेती है | मीर तक़ी के समय में उनकी शायरियो को टक्कर देने वाला कोई भी शायर नहीं था उन्हें उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान होने के कारणवश उनकी हर रचनाये काफी प्रेरणादायक भी सिद्ध होती है तो जाने मीर जी की कुछ ऐसी शायरियां जो की आपके लिए मोटिवेशनल भी है |

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Meer Taqi Meer 2 Line Poetry

मीर तक़ी मीर 2 लाइन शायरी : मीर तक़ी मीर की 2 लाइन शायरी के लिए नीचे दी हुई कुछ बेहतरीन शायरियां और पाए मज़ेदार शायरियो का खजाना :

आए हो घर से उठ कर मेरे मकाँ के ऊपर
की तुम ने मेहरबानी बे-ख़ानुमाँ के ऊपर

आदम-ए-ख़ाकी से आलम को जिला है वर्ना
आईना था तो मगर क़ाबिल-ए-दीदार न था

आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम
अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये

आह-ए-सहर ने सोज़िश-ए-दिल को मिटा दिया
इस बाद ने हमें तो दिया सा बुझा दिया

आशिक़ों की ख़स्तगी बद-हाली की पर्वा नहीं
ऐ सरापा नाज़ तू ने बे-नियाज़ी ख़ूब की

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Best Of Meer Taqi Meer

बेस्ट ऑफ़ मीर तक़ी मीर : मीर जी की सबसे बेस्ट शायरी जिनकी वजह से उनका कान इतना प्रसिद्ध हुआ उनकी जानने के लिए आप हमारे माध्यम से जान सकते है :

आवरगान-ए-इश्क़ का पूछा जो मैं निशाँ
मुश्त-ए-ग़ुबार ले के सबा ने उड़ा दिया

अब देख ले कि सीना भी ताज़ा हुआ है चाक
फिर हम से अपना हाल दिखाया न जाएगा

इश्क़ करते हैं उस परी-रू से
‘मीर’ साहब भी क्या दिवाने हैं

अब जो इक हसरत-ए-जवानी है
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है

अब कर के फ़रामोश तो नाशाद करोगे
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे

Meer Taqi Meer 2 Line Poetry

Mir Taqi Mir Sher | मीर तक़ी मीर के शेर

मीर तक़ी मीर शेर : मीर जी के दो लाइन के शेर आप आसानी से जान सकते है नीचे दिए हुई केवल दो लाइन के शेर को पढ़े और आज ही शेयर करे अपने दोस्तों को :

अब के जुनूँ में फ़ासला शायद न कुछ रहे
दामन के चाक और गिरेबाँ के चाक में

अब मुझ ज़ईफ़-ओ-ज़ार को मत कुछ कहा करो
जाती नहीं है मुझ से किसू की उठाई बात

अब तो जाते हैं बुत-कदे से ‘मीर’
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया

हद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद
यानी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया

अमीर-ज़ादों से दिल्ली के मत मिला कर ‘मीर’
कि हम ग़रीब हुए हैं इन्हीं की दौलत से

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Meer Ke Sher In Hindi

मीर के शेर इन हिंदी : नीचे दिए हुए कुछ ऐसे शेर जो की मीर जी द्वारा लिखे गए वैसे तो ये उर्दू में है लेकिन हम आपको इनकी जानकारी हिंदी फॉण्ट में देते है :

इज्ज़-ओ-नियाज़ अपना अपनी तरफ़ है सारा
इस मुश्त-ए-ख़ाक को हम मसजूद जानते हैं

इक़रार में कहाँ है इंकार की सी सूरत
होता है शौक़ ग़ालिब उस की नहीं नहीं पर

इश्क़ है इश्क़ करने वालों को
कैसा कैसा बहम क्या है इश्क़

इश्क़ है तर्ज़ ओ तौर इश्क़ के तईं
कहीं बंदा कहीं ख़ुदा है इश्क़

इश्क़ इक ‘मीर’ भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है

इश्क़ का घर है ‘मीर’ से आबाद
ऐसे फिर ख़ानमाँ-ख़राब कहाँ

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