Margashirsha Purnima 2020 – Mahina, Puja Va Vrat Vidhi : मार्गशीर्ष पूर्णिमा को हम दत्तात्रेय जयंती के नाम से भी जानते है क्योकि इसी दिन भगवान विष्णु के दत्तात्रेय के रूप में धरती में अवतार लिया था | वैसे तो हिन्दू धर्म में पूर्णिमा को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है लेकिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का अत्यंत बहुत अधिक महत्व है | इसीलिए हम आपको मार्गशीर्ष माह के बारे में जानकारी देते है की यह व्रत क्यों मनाया जाता है तथा इस व्रत का क्या महत्व है ? और इस व्रत में आपको किस तरह से पूजा करनी होगी तथा व्रत विधि इन सबके बारे में जान्ने के लिए आप हमारे माध्यम से जानकारी पा सकते है |
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मार्गशीर्ष मास – पूर्णिमा
Margshirsh Maas – Purnima : मार्गशीर्ष माह का हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है मार्गशीर्ष पूर्णिमा को हम दत्तात्रेय जयंती के नाम से भी जानते है सभी पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा व इस पूर्णिमा का बहुत महत्व है | यह पूर्णिमा हर साल मार्गशीर्ष या अगहन के माह में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है उसी तरह यह साल 2017 में 3 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी |
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
Margshirsha Purnima Ka Mahatv : मार्गशीर्ष का माहौल पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में, इस महीने को ‘मैगसर’, ‘अगहन’ या ‘अग्राहैण’ कहा जाता है। यह माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर यमुना नदी में एक पवित्र डुबकी लेने वाली युवा लड़कियों को वांछित जीवन साथी मिलेगा। वैशाख, कार्तिक और माघ के चंद्र महीनों की तरह, मार्गशिर्षा पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण है। पंडितों और विद्वानों का मानना है कि इस पवित्र दिन पर धर्मार्थ गतिविधियों को करने से, सभी पापों को राहत मिलेगी। मार्गशिर्षा पूर्णिमा पर, भगवान विष्णु को ‘नारायण’ के रूप में पूजा की जाती है इसके अलावा, मार्गशिर्षा पूर्णिमा के दिन उपवास सभी इच्छाओं या इच्छाओं की पूर्ति करता है।
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व्रत विधि व पूजा विधि
Vrat Vidhi Va Puja Vidhi : मार्गशीर्ष माह के दिन पूजन करने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी के अनुसार इस व्रत को कर सकते है जिससे की आपके सभी संकटो का निवारण होता है :
- इस दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना होता है |
- इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का प्रावधान है तथा भगवान सत्यनारायण की कथा ही सुनी जाती है |
- इस दिन धूप, दीप, अगरबत्ती के बाद चूरमा का भोग भी लगाए जाने का प्रावधान है क्योकि भगवान विष्णु को चूरमे का भोग अत्यंत प्रिय होता है |
- उसके बाद घर में हवन करे तथा उसमे भगवान विष्णु के सभी नामो का जप करे तथा ओम नमः शिवाय का जप करे |
- हवन में बैठे हुए सभी भक्तो को अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करनी है |
- उसके बाद ब्राह्मणो व गरीबो को अपनी सामर्थ्यनुसार भोजन व दान करना होता |
- उसके बाद आप रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर दीपदान करे |
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