माघ पूर्णिमा : माघ पूर्णिमा का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है यह पूर्णिमा हर साल अति है और हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार माघ के महीने में आती है इस दिन चन्द्रमा अपने पुरे रूप में दिखाई देता है वैसे इस दिन के लिए लोग व्रत भी रखते है तो आज हम आपको पूर्णिमा के बारे में बताएँगे की पूर्णिमा का क्या प्रभाव पड़ता है और इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलता है और पूर्णिमा क्यों पड़ती है पूर्णिमा को क्या करना चाहिए और क्या नहीं |
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Maghi Purnima Significance
माघी पूर्णिमा सिग्निफ़िकेन्स : माघ पूर्णिमा के दिन किए गए दान धर्म एवं स्नान का बहुत महत्व होता है। साल 2020 में माघी पूर्णिमा 10 फरवरी दिन शुक्रवार को है। पंचांग के मुताबिक ग्यारहवें महीने यानी माघ के माह में किए गए दान धर्म एवं स्नान का बहुत महत्व होता है । इसमें जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस स्नान के करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार यह कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा के दिन खुद भगवान विष्णु खुद गंगाजल में निवास करते हैं। साल 2020 में माघी पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि के साथ ही पुष्यामृत योग भी बन रहा है। इस दिन ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती है। ज्योतिषो के अनुसार माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। इस पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल मिलता है।
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Maghi Purnima 2020
माघी पूर्णिमा 2020 में 10 फरवरी को रखा जायेगा इसके अन्तर्गत हम आपको बताते है सभी प्रकार की जानकारी की इस व्रत में क्या करना है आपको पर क्या नहीं करना है |
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माघ पूर्णिमा व्रत विधि
- नारद पुराण के अनुसार माघ माह में आने वाली पूर्णिमा (Magh Purnima) में व्रती को प्रातः स्नान कर लेना चाहिए।
- अपने घर में मंदिर में भगवान शंकर की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए फिर उनकी धूम, गंध, फल, फूल दीप इत्यादि से विधि पूर्वक पूजन करनी चाहिए।
- पूजा समाप्त होने के बाद तिल, सूती कपड़े, कम्बल, रत्न, कंचुक, पगड़ी, जूते इत्यादि का श्रद्धा अनुसार ब्राह्मण को दान करना चाहिए
- माघी पूर्णिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति तारों के अस्त होने के बाद स्नान करते हैं उन्हें मध्यम फल की प्राप्ति जरूर होती है तथा जो सूर्योदय के पश्चात स्नान करते हैं वह माघ स्नान के उत्तम फल से वंचित रह जाते हैं
- अत: इस तिथि को शास्त्रानुकूल आचरण का पालन करते हुए तारों के छुपने से पहले स्नान कर लेना उत्तम रहता है।
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