कोट्स (Quotes)

लाल बहादुर शास्त्री के 20 अनमोल विचार व नारे

Lal Bahadur Shastri Ke 20 Anmol Vichar Va Naare : जय जवान, जय किसान का नारा देने वाला भारत के भावी प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 के दिन हुआ उत्तर प्रदेश राज्य के मुगलसराय जिले में हुआ था यह राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ट नेता थे इसीलिए इन्हे प्रथम बार प्रधान मंत्री 1964 बनाया गया था इनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रेरणादायक है इसीलिए इनके द्वारा कुछ बेहतरीन कोट्स तथा विचार कहे गए है जो की हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है | एक भावी प्रधान मंत्री होने के कारणवश इनके विचार हमारे लिए काफी प्रेरणादायक भी है इसीलिए हम आपको लाल बहादुर शास्त्री के विचार के बारे में बताते है जिन्हे आप जान सकते है |

यह भी देखे : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार

लाल बहादुर शास्त्री का नारा

1. हम सब को अब अपने क्षेत्रों में उसी प्रकार के समर्पण, उत्साह और संकल्प के साथ काम करना होगा जो एक योद्धा को उसकी रणभूमि में उत्साहित और लड़ने को प्रेरित करता हैं, और हमे सिर्फ ये बोलने तक ही सिमित ना रखकर उसे वास्तविकता में कर के दिखाना होगा

2. हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो ज़रूरी काम हैं उनमे लोगों में एकता और एकजुटता स्‍थापित करने से बढ़ कर कोई काम नहीं है

3. हम भले ही अपने देश की आजादी चाहते है, लेकिन उसके लिए ना ही हम किसी का शोषण करेंगे और ना ही दूसरे देशों को निचा दिखाएँगे…मैं अपने देश की स्वतंत्रता कुछ इस प्रकार चाहता हूँ कि दूसरे देश उससे कुछ सिख सके, और मेरे देश के संसाधनों को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग में ले सकें

4. हमारे देश में आर्थिक मुद्दे उठाने बहुत जरूरी हैं, क्योंकि उन्ही मुद्दों से हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोज़गारी से लड़ सकते हैं

5. हम सभी को अपने अपने क्षत्रों में उसी समर्पण उसी उत्साह और उसी संकल्प के साथ काम करना होगा, जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है और यह सिर्फ बोलना नहीं है बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है

6. हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्‍त विश्‍व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्‍वास रखते हैं

7. हम देश के लिए आजादी चाहते हैं दुसरे लोगों का शोषण करके नहीं और न ही दुसरे देशों को हानि या फिर नीचा दिखाकर में अपने देश के लिए ऐसी आजादी चाहता हूँ ताकि दुसरे देश मेरे देश से कुछ सीख सकें

8. देश के प्रति निष्‍ठा सभी निष्‍ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्‍ठा है क्‍योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्‍या मिलता है

9. विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है निरंतर कठोर परिश्रम समर्पण की

10. जो शासन करते हैं उन्‍हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंतत: जनता ही मुखिया होती है

लाल बहादुर शास्त्री का नारा

यह भी देखे : श्री श्री रविशंकर के 30 विचार

लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरक प्रसंग

11. यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्म-निरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा, इत्यादि का ध्यान रखेगा लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है

12. भ्रष्टाचार को खत्म करना कोई आसान काम नहीं है। इसे पकड़ना बहुत मुश्किल है, लेकिन में पूरे दावे के साथ कहता हूँ कि यदि हम इस परेशानी से गंभीरता के साथ नहीं निपटेंगे तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफ़ल रहेंगे

13. मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्‍यों की तरफ बढ़ सके

14. हमारा रास्‍ता सीधा और स्‍पष्‍ट है। अपने देश में सबके लिए स्‍वतंत्रता और संपन्‍नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्‍थापना और अन्‍य सभी देशों के साथ विश्‍व शांति और मित्रता का संबंध रखना

15. यदि कोई एक व्‍यक्ति भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा

16. यदि लगातार झगड़े होते रहेंगे तथा शत्रुता होती रहेगी तो हमारी जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। परस्पर लड़ने की बजाय हमें गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना चाहिए। दोनों देशों की आम जनता की समस्याएं, आशाएं और आकांक्षाएं एक समान हैं। उन्हें लड़ाई-झगड़ा और गोला-बारूद नहीं, बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है

17. क़ानून का सम्‍मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और, और भी मजबूत बने

18. मुझे ग्रामीण क्षेत्रों, गांवों में, एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है, इसलिए मेरा ध्यान स्वतः ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है। मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए। हर रोज, हर समय मैं यही सोचता हूं कि उन्हें किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए

19. जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्त्तव्य होता है, हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है

20. मेरे विचार से पूरे देश के लिए एक संपर्क भाषा का होना आवश्यक है, अन्यथा इसका तात्पर्य यह होगा कि भाषा के आधार पर देश का विभाजन हो जाएगा। एक प्रकार से एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी…….. भाषा एक ऐसा सशक्त बल है, एक ऐसा कारक है जो हमें और हमारे देश को एकजुट करता है। यह क्षमता हिन्दी में है

Contents

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

you can contact us on my email id: harshittandon15@gmail.com

Copyright © 2016 कैसेकरे.भारत. Bharat Swabhiman ka Sankalp!

To Top