Kalbhairav Jayanti | Bhairava Ashtami 2020 : भगवान शिव जी का ही काल भैरव का अवतार है जिसके पीछे एक बेहद रोचक प्रसंग है जिसकी जानकारी हिन्दू धर्म के शास्त्रों में हमें मिलती है | शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है की भगवान महादेव ने इसी दिन भैरव का अवतार लिया था इसीलिए इसी दिन को भैरव अष्टमी, भैरव जयंती, महाकाल भैरूअष्टमी और काला- भैरव अष्टमी के नाम से जानते है | शिव का यह अवतार सबसे अधिक डरावना था तभी से तंत्र मंत्र के देवता काल भैरव जी बन गए | इसीलिए हम आपको काल भैरव जयंती के उपलक्ष्य में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है |
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भैरव अष्टमी कब है | भैरव अष्टमी 2020
Bhairav Ashtami Kab Hai : मार्गशीर्ष माह की कृष्णा पक्ष की अष्टमी के दिन ही भैरव जयंती का दिन होता है और इसी दिन शिव रूप भैरव की पूजा-पाठ व वंदना की जाती है | कई श्रद्धालु इस दिन व्रत भी रखते है और इसीलिए हम आपको बताते है की यह भैरव अष्टमी या भरैव जयंती साल 2020 में 10 नवंबर के दिन रखे जाने का प्रावधान है |
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काल भैरव पूजा विधि
Kal Bhairav Puja Vidhi : काल भैरव जयंती के उपलक्ष्य में उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आप आराम से उनकी पूजा कर सकते है इसीलिए अगर आप उनकी पूजा-विधि जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी को पढ़ सकते है :
- इस दिन माता पारवती व काल भैरव की पूजा की जाती है तथा यह पूजा रात्रि के समय की जाती है |
- रात में पूजा करने के पश्चात् सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करके भैरव की मूर्ति या फोटो पर रख चढ़ाई जाती है |
- उसके बाद इस दिन काले कुत्ते की पूजा करे तथा उसे खाने के लिए कई चीज़े भी दे सकते है |
- उसके बाद आप काल भैरव की कथा सुने |
कालभैरव जयंती का महत्व
Kalbhairav Jayanti Ka Mahatv : काल भैरव जयंती भगवान शिव के अनुयायी के लिए बहुत महत्व रखती हैं। इस दिन को भगवान काल भैरव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो भगवान शिव का प्रतीक है। यह माना जाता है कि काल भैरव अपने भक्त को परम वरदान प्रदान करते हैं। यह एक लोकप्रिय धारणा है कि इस व्रत के पर्यवेक्षक को सफलता हासिल करने के लिए जीवन से सभी बाधाएं दूर करने में सक्ष्मता प्राप्त होती है। भक्त अपने पापों की क्षमा मांगते हैं भगवान कालीन भैरव की पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता मिलती है। भगवान काला भैरव की पूजा करके ‘राहु’ और ‘शनि’ दोषों को निरस्त किया जा सकता है।
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काल भैरव जयंती कथा
Kal Bhairav Jayanti Katha : पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच तर्क था कि उनमें से कौन अधिक शक्तिशाली है। लड़ाई ऐसे स्तर तक पहुंची थी कि भगवान शिव को महान विद्वानों और साधुओं को समाधान खोजने के लिए आमंत्रित करना पड़ा। तब भगवन शिव और बाकि देवताओ ने कहा की त्रिदेव एक ही है इनमे से न तो कोई अधिक शक्तिशाली है न कोई कम इस बात को विष्णु जी ने तो स्वीकार कर लिया किन्तु भगवान ब्रह्मा ने अस्वीकार कर दिया था |
जिससे भगवान शिव नाराज हो गए, क्योंकि यह उनके लिए अपमान था और उन्होंने एक विनाशकारी रूप लिया। भगवान भैरव भगवान शिव के माथे से प्रकट हुए थे जिन्होंने भगवान ब्रह्मा के एक पांच मुख में से एक मुख काट डाला तब से भगवन ब्रह्मा के 4 मुख ही रह गए, और उन्हें चार मुखो के साथ छोड़ दिया था। भगवान भवानी के रूप में भगवान शिव को देखकर सभी देवता और ऋषि भयभीत थे। भगवान ब्रह्मा ने काल भैरव से माफी मांगी भगवान, ऋषि और भगवान ब्रह्मा से आश्वस्त होने के बाद, भगवान शिव अपने मूल रूप में बहाल थे। काल भैरव एक काले कुत्ते पर एक हाथ में एक तिपहिया के साथ सवारी करते है इसलिए, उन्हें ‘दंडदिपति’ के नाम से जाना जाता है।
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