जिगर मुरादाबादी शायरी : इनके बचपन का नाम अली सिकंदर था इनका जन्म 6 अप्रैल 1890 में मुरादाबाद में हुआ था उनके जैसी ग़ज़ल आज तक कोई भी नहीं कर सकता है | इनकी मृत्यु 9 सितंबर 1960 में 70 साल की उम्र में हुई | वैसे इससे पहले आप हमारे कई प्रसिद्ध कविओ जैसे ग़ालिब, इमरान प्रतापगढ़ी, कुमार विश्वास और जॉन एलिया की रचनाये पढ़ चुके है तो अब आप जानिए हमारे गुलज़ार जी की कुछ दिल छूने वाली प्रसिद्ध कविताये इनका नाम आज भी हिंदी जगत में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है तो पढ़िए जिगर मुरादाबादी जी की ही कुछ बेहतरीन कविताये |
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Jigar Moradabadi Ghazal
जिगर मुरादाबादी ग़ज़ल : अगर आप मुहब्बत के शायर जिगर जी द्वारा रचित शेरो शायरी जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है जिसमे आपको मिलती है कई खूबसूरती पर शायरी :
जिन्दगी निकली मुसलसल इम्तिहाँ-दर-इम्तिहाँ
जिन्दगी को दास्तां ही दास्तां समझा था मैं
जिन्दगी पर डाल दी जिसने हकीकतबीं निगाह
जिन्दगी उसकी नजर में बेहकीकत हो गई
तुम मुझसे छूटकर भी रहे सबकी निगाह में
मैं तुमसे छूटकर किसी काबिल नहीं रहा
दिल गया, रौनके-हयात गई
गम गया, सारी कायनात गई
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Jigar Shayari In Hindi
जिगर शायरी इन हिंदी : अगर आप जिगर जी की शायरी हिंदी में जानना चाहे तो आप हमारे माध्यम से देख सकते है इसमें आपको मिलती है कई मज़ेदार और उत्साहवर्धक शायरी :
मौत जब तक नजर नहीं आती
जिन्दगी राह पर नहीं आती
मेरी हस्ती शौके-पैहम मेरी फितरत इज्तिराब
कोई मंजिल हो मगर गुजरा चला जाता हूँ मैं
फूल वही, चमन वही, फर्क नजर – नजर का है
अहदे-बहार में क्या था, दौरे-खिजाँ में क्या नहीं
फूल खिलते हैं गुलशन-गुलशन
लेकिन अपना – अपना दामन
Jigar Moradabadi: Mohabbaton Ka Shayar
जिगर मुरादाबादी: मोहब्बत के शायर : जिगर मुरादाबादी एक बहुत बड़े शायर ह जिन्होंने ज्यादातर अपनी रचनाये मोहब्बत के ऊपर ही की है :
पहले शराब जीस्त थी, अब जीस्त है शराब
कोई पिला रहा है, पिए जा रहा हूँ मै
तेरे फिराक के गम ने बचा लिया सबसे
मेरे करीब अब कोई बला नहीं आती
अपना जमाना आप बनाते हैं अहले-दिल
हम वो नहीं है जिसको जमाना बना गया
उनकी वह आमद-आमद है, अपना यहाँ ये आलम
इक रंग जा रहा है, इक रंग आ रहा है
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Jigar Muradabadi Books
जिगर मुरादाबादी बुक्स : जिगर जी द्वारा रची गयी हर एक रचना उनको बुक्स में मिलती है तो आप इनमे से कुछ शायरी उन्ही की बुक से ली गयी है :
इब्तिदा वो थी कि था जीना मुहब्बत में मुहाल
इन्तिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया
इश्क की बर्बादियों को रायगां समझा था मैं
बस्तियाँ निकली, जिन्हे वीरानियाँ समझा था मैं
अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी
दुनिया से कयामत दूर सही, दुनिया की कयामत दूर नहीं
उनको आता है प्यार पर गुस्सा
हमको गुस्से पर प्यार आता है
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