जॉन एलिया शायरी : जॉन एलिया एक प्रसिद्ध कवि रह चुके है वह कवि के साथ-2 दार्शनिक, लेखक, और स्कॉलर थे इनका जन्म 14 दिसम्बर 1931 में अमरोहा में हुआ था बाद में इन्होंने पाकिस्तान की राष्ट्रीयता ले ली | तो आज हम आपको जॉन एलिया कविता, शायरी और भी अधिक प्रेरणादायक रचनाओ के बारे में बताएँगे इनकी रचनाओ काफी उत्साहवर्धक है अगर आप इनके लव शायरी लोगो का दिल छूने वाली है इसके अलावा अगर आप इनके दो लाइन के शेर जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है |
यह भी देखे : Amjad Islam Amjad Shayari
John Elia Shayari In Hindi
जॉन एलिया शायरी इन हिंदी : जॉन एलिया की शायरियो को हिंदी में जानने के लिए आप हमारी इन शायरियो को पढ़ सकते है और पाइये बेहतरीन सन्देश शायरियो के साथ :
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए
कैसे कहें कि उस को भी हम से है कोई वास्ता
उस ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
यह भी देखे : Bashir Badr Shayari
Ghazals of Jaun Eliya
ग़ज़ल ऑफ़ जॉन एलिया : एलिया जी की दो लाइन की ग़ज़ल जानने के लिए आप हमारे इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते है जिसमे आपको मिलती है मोटिवेशनल थॉट्स :
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
हम हैं मसरूफ़-ए-इंतिज़ाम मगर
जाने क्या इंतिज़ाम कर रहे हैं
ख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
महक उठा है आँगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
यह भी देखे : Bekhud Dehlvi Shayari
Jaun Elia Quotes
जॉन एलिया कोट्स : जॉन एलिया कोट्स में आप देख सकते है बेहतरीन और मज़ेदार शायरियां भी जिन्हें आप अपने मित्रो को फेसबुक या व्हाट्सएप्प पर शेयर भी कर सकते है :
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
नया इक रब्त पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँ
हम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
You have also Searched for :
jaun elia real name
john elia poetry images
john elia poetry in urdu font
jaun elia poetry books pdf
john elia poetry books
john elia quotes in urdu
john elia poetry facebook
Contents
