धार्मिक (आस्था)

Indira Ekadashi

इंदिरा एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत मायने रखता है और यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण भी होता है जैसा की हम सभी जानते है एकादशी का व्रत भगवन विष्णु के लिए रखा जाता है और बाकि एकादशी के व्रतों की तरह इसमें भी विष्णु जी की आराधना की जाती है | इस व्रत को रखने वाला मनुष्य मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है और इससे मनुष्य के सभी पाप भी नष्ट हो जाते है | इसीलिए आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में एकादशी के व्रत के बारे में जानकारी देते है की आप इस व्रत को किस तरह से रखते है या इस व्रत का क्या महत्त्व है | हिंदी पंचांग के अनुसार यह व्रत कृष्णा पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस साल यानि 2020 में यह व्रत 16 सितम्बर को मनाया रखे जाने का प्रावधान है |

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पूजा विधि

Puja Vidhi : इंदिरा एकादशी के दिन व्रत रखने के लिए आपको पुरे विधि विधान से पूजा का आयोजन करना पड़ेगा इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी के अनुसार व्रत कर सकते है :

  1. एकादशी से एक दिन पहले कृष्णा पक्ष की दशमी तिथि को यह व्रत स्टार्ट हो जाता है इसीलिए दशमी के दिन किसी तालाब या नदी में स्नान करे |
  2. और अपने पितरो का श्राद्ध करे और दिन में एक बार भोजन कर ले |
  3. उसके बाद एकादशी के दिन स्नान करके व्रत का संकल्प करे |
  4. उसके बाद भगवान् शालिग्राम की मूर्ति पर श्राद्ध करके ब्राहम्णो को भोजन करवाए और दक्षिणा दे |
  5. उसके बाद ध़ूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य इत्यादि सामग्री से भगवान ऋषिकेश की पूजा करे और रात में जागरण भी कर सकते है |
  6. उसके बाद द्वादशी के दिन भगवान की विधिपूर्वक पूजा करके ब्राहम्णो को भोजन करवाए |
  7. आपका यह व्रत सफल हो जायेगा इस तरह से आपके पितरो को स्वर्ग में स्थान मिलेगा |

Indira Ekadashi

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा

Vrat Katha : सतयुग में एक इन्द्रसेन नामक एक प्रतापी राजा था जो एक पराक्रमी, ईमानदार, और अपनी प्रजा के प्रति सजग था और वह विष्णु जी का बहुत बड़ा भक्त था | उनके राज्य में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं थी उनका राज्य उपलब्धियों पर था वहां की प्रजा को अपने राजा से कोई शिकायत नहीं थी |

एक बार नारद मुनि इन्द्रसेन के दरबार में आये और इन्द्रसेन ने उन्हें देख कर उन्हें पूरा आदर सत्कार से अपने राज्य में असीत किया और सेवा की और उनके चरणों को धोकर स्पर्श किया उनके स्वाभाव से नारद मुनि अत्यंत प्रसन्न हुए | तभी राजा इन्द्रसेन ने नारद मुनि से उनके यहाँ आने का कारण पूछा तब उन्होंने बताया की, मै ब्रह्मलोक से यमलोक गया था और वहां मेरी भेट तुम्हारे पिताजी से हुई तो उन्होंने तुम्हारे लिए एक संदेशा भेजा है मृतयु के पश्चात् उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई हुई इसीलिए तुम्हे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति दिलाने के लिए कुछ करना पड़ेगा | उन्होंने मुझे यह भी बताया की उनके पूर्व जन्म में उनके द्वारा एकादशी का व्रत भंग हुआ है जिसकी वजह से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है |

तब राजा इन्द्रसेन ने नारद मुनि से इसका उपाय पूछा तब उन्होंने बताया की श्राद्ध पक्ष में अपने पितरो को मोक्ष दिलाने के लिए लोग श्राद्ध रखते है इसीलिए तुम्हे श्राद्ध पक्ष में एकादशी के व्रत रखने से तुम्हारे पिताजी की मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी इसके अलावा तुम्हारी कई पुश्तों को भी मोक्ष मिलेगा | तब से ही इंदिरा एकादशी का व्रत हमारे लिए महत्वपूर्ण साबित होता है |

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