त्यौहार

Hanuman Jayanti

हनुमान जयंती : जैसा की हम सभी जानते है की हमारा भारत देश एक त्यौहारो को देश है इसलिए हम आपको मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की जयंती के उपलक्ष्य में कुछ जानकारी देते है की क्यों हम ये जयंती मनाते है तो जाने इसके बारे में हमारे माध्यम से हंनुमान जयंती हर साल चैत्र नवरात्रि के बाद और राम नवमी के बाद पड़ती है इस दिन सभी श्रद्धालु हनुमानजी की पूजा पाठ करते है और उनके लिए व्रत भी रखते है कहा जाता है जो हनुमान जयंती वाले दिन व्रत रखता है उसे भूत-प्रेत और पिशाचो से मुक्ति मिल जाती है और किसी तरह का भय नहीं रहता | इसके अलावा अगर आप जानना चाहे की हनुमान जयंती कब है तो आप हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते है |

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Hanuman Jayanti 2017

हनुमान जयंती 2020 : हनुमान जयंती रामभक्त भगवान महावीर के जन्म दिवस के उत्सव के रूप में मनाई जाती है यह दिन चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होता है इसी दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इसी दिन माँ अंजनी की कोख से जन्म लिया उनके धरती पर आने का लक्ष्य बुराई का समाप्त करना था वे भगवान शिव के 11 वे अवतार थे | हमारे देश में हनुमान जयंती मंगलवार के दिन ही पड़ती है इसलिए साल Hanuman Jayanti 2020 Date 11 अप्रैल को मनाई जाएगी |

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Hanuman Jayanti 2020

Hanuman Jayanti Puja | हनुमान जयंती पूजा विधि

हनुमान जयंती पूजा : हनुमान जयंती के दिन सभी लोगो को प्रातः उठ कर स्नान करना होगा उसके बाद हनुमान आरती करनी चाहिए या चाहे तो हनुमान बाहुक का पाठ भी कर सकते है या हनुमान चालीसा का भी पाठ करे इस व्रत में आपको ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से ध्यान रखना है उसके बाद आप पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी का भोग लगाना चाहिए और पुरे दिन बिना कुछ खाये पीये व्रत रखना चाहिए |

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हनुमान जयंती मनाने का महत्व

Hanuman Jayanti Manane Ka Mahatv : पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान हनुमान ने देवी सीता को अपने माथे पर सिंदूर लगाने के लिए देखा था। इसे देखकर, भगवान हनुमान ने सिंदूर को लागू करने के लिए उसके कारण से पूछा। भगवान सीता ने जवाब दिया कि यह अपने पति के लिए एक लंबा जीवन सुनिश्चित करेगा। हनुमान ने राम के अमरता को सुनिश्चित करने के प्रयास में, सिंदूर के साथ अपने पूरे शरीर को लुभाया। इसलिए इस दिन, भक्त मंदिरों की यात्रा करते हैं और हनुमान शरीर से उनके माथे पर सिंदुर के तिलक को लागू करते हैं क्योंकि यह शुभ भाग्य समझा जाता है।

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