धार्मिक (आस्था)

Guru Purnima

हिंदी पंचांग के अनुसार पूर्णिमा मास की 15 वी और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है और इस दिन चन्द्रमा आकाश में पूरा दिखाई देता है इस दिन को पुराणों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसीलिए हम आपको गुरु पूर्णिमा के बारे में जानकरी देते है की इस पूर्णिमा पर आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं ? किस तरह से आप इस पूर्णिमा को मनाएंगे ? और किस तरह फलदायक रहेगी यह पूर्णिमा आपके लिए इसकी पूरी जानकारी आप हमारे माध्यम से पा सकते है | वैसे इस पूर्णिमा को हम आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते है |

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Guru Purnima 2020 Date

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है आषाढ़ पूर्णिमा का दिन आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2020 में यह 9 जुलाई को मनाया जायेगा |

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Guru Purnima 2020 Date

Siginificance

संस्कृत में “गुरु” शब्द का अनुवाद “अंधेरे के विद्वान” के रूप में किया गया है। इसलिए गुरु अज्ञानी के अंधेरे को दूर करते हैं और प्रबुद्धता के पथ पर उम्मीदवारों की ओर जाता है। गुरु पूर्णिमा का दिन परंपरागत रूप से ऐसा समय होता है जब साधक गुरु को उनके आभार और उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा भी योग साधना और ध्यान अभ्यास करने के लिए एक विशेष रूप से लाभकारी दिन माना जाता है।

आषाढ़ महीना (जुलाई-अगस्त) में पूर्णिमा दिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। यह पवित्र दिन शिव से योग विज्ञान का पहला प्रसारण – आदियोगी या प्रथम योगी – सप्तर्षि को, सात मनाया ऋषियों को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण अवसर कन्तेसरोवर झील के तट पर हुआ, जो कि हिमालय के केदारनाथ मंदिर से कुछ किलोमीटर ऊपर स्थित है। इस प्रकार, आदियोगी इस दिन आदि गुरु या प्रथम गुरु बन गया। सप्तर्षि ने दुनिया भर में एडियोगी द्वारा प्रस्तुत जानबूझकर यह जानकारी दी थी।

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आषाढ़ पूर्णिमा व्रत विधि

Ashaadh Purnima Vrat Vidhi : इस पूर्णिमा को हम आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते है इसीलिए आप इस व्रत में पूजा करने के लिए हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी के अनुसार पूजा कर सकते है जिससे की आपके यह व्रत पूरा हो पायेगा :

  1. नारद पुराण के अनुसार आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा में व्रती को प्रातः स्नान कर लेना चाहिए। हो सके तो इस दिन किसी पवित्र नदी में नहाये यह बहुत ही शुभ मन जाता है |
  2. अपने घर में मंदिर में अपने गुरु की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए फिर उनकी धूम, गंध, फल, फूल दीप इत्यादि से विधि पूर्वक पूजन करनी चाहिए।
  3. पूजा समाप्त होने के बाद तिल, सूती कपड़े, कम्बल, रत्न, कंचुक, पगड़ी, जूते इत्यादि का श्रद्धा अनुसार ब्राह्मण को दान करना चाहिए |
  4. यह दिन गुरुओं का दिन होता है इसीलिए आप इस दिन जिस किसी को भी अपने गुरु या आदर्श मानते हो आप उनकी पूजा कर सकते है |

 

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