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गुरु नानक जयंती | गुरु पर्व 2017

Guru Nanak Jayanti | Guru Parv 2020 : गुरु पर्व या गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु व संस्थापक के जन्म की वजह से मनाया जाता है श्रद्धालु इसे गुरु नानक जी का प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाते है | यह पर्व पूरे भारत में सबसे अधिक पंजाब राज्य में मनाया जाता है | गुरु पर्व हर साल कार्तिक के महीने में ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है क्योकि जिस दिन इनका जन्म हुआ था वह कार्तिक का ही महीना था तथा नानक साहब का जन्म 547 साल पहले 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी ग्राम में हुआ था | इसीलिए हम आपको गुरु नानक जयंती के उपलक्ष्य में जानकारी देते है जिसके माध्यम से आप इस पर्व के बारे में जानकारी पा सकते है |

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गुरु नानक जयंती कब है

Guru Nanak Jayanti Kab Hai : गुरु नानक जयंती के पर्व को प्रकाश उत्सव के रूप में भी सिख धर्म में मनाया जाता है और इसी दिन हम सभी गुरुद्वारों को प्रकाश से संपूर्ण रूप से भर दिया जाता है | यहाँ तक की इस पर्व को पूरे देश के सभी गुरुद्वारों पर बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है | गुरु पर्व 2020 की तरह ही हर साल बहुत ही शानदार तरीके से मनाया जाता है | और यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है इसीलिए साल 2020 में गुरु पर्व 4 नवंबर को मनाया जायेगा |

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गुरुनानक देव जी के सिद्धांत

Guru Nanak dev Ji Ke Siddhant : गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में कई सिद्धांत भी बनाये है जिन सिधान्तो की मदद से वह अपने सिख धर्म का निर्माण किया था | गुरु नानक जी की जयंती के मौके पर सिख धर्म के लोग उनके इन सिधान्तो का पालन करते है :

ईश्वर एक है।

एक ही ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।

ईश्वर, हर जगह व हर प्राणी में मौजूद है।

ईश्वर की शरण में आए भक्तों को किसी प्रकार का डर नहीं होता।

निष्ठा भाव से मेहनत कर प्रभु की उपासना करें।

किसी भी निर्दोष जीव या जन्तु को सताना नहीं चाहिए।

हमेशा खुश रहना चाहिए।

ईमानदारी व दृढ़ता से कमाई कर, आय का कुछ भाग जरूरतमंद को दान करना चाहिए।

सभी मनुष्य एक समान हैं, चाहे वे स्त्री हो या पुरुष।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन आवश्यक है, लेकिन लोभी व लालची आचरण से बचें है।

गुरु नानक जयंती कब है

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Gurpurab In Hindi

गुरपुरब इन हिंदी : गुरु नानक जी का जन्म 547 साल पहले 15 अप्रैल, 1469 को पाकिस्तान में तलवंडी नामक ग्राम में हुआ था जो की इस समय पंजाब के पाकिस्तानी हिस्से में है तथा इनकी माता का नाम तृप्त देवी व पिता जी का नाम कल्याणचंद या मेहता कालू जी था | इनकी बहन का नाम नानकी था इसीलिए आगे चल कर इनका नाम नानक साहब के नाम पर ननकाना पड़ गया |

बचपन से ही यह एक प्रबुद्ध व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिसकी वजह से यह स्वाध्याय ही किया करते थे और यह ज्यादा नहीं पढ़ लिख सके | 7 से 8 साल की उम्र में ही इन्होने स्कूल छोड़ दिया उसके बाद इन्होने अपना जीवन आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे जिसकी वजह से इनके साथ कई ऐसी चमत्कारिक घटनाएं घटने लगी तो लोग इन्हे एक असाधारण पुरुष न समझके एक दिव्य व्यक्तित्व वाला व्यक्ति समझने लगे |

इनका विवाह 16 वर्ष की उम्र में ही हो गया था उसके बाद इसके बाद 32 वर्ष की उम्र में ही इनके संतान हो गयी जिसमे की पहले पुत्र श्रीचंद हुए उसके कुछ वर्षो पश्चात् दूसरा पुत्र लखमीदास भी हुए | उसके बाद सन 1507 में यह अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने बच्चो के ऊपर डाल कर अपने साथियो मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तिर्यः यात्रा पर निकल पड़े |

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