Gita Jayanti 2020 : गीता जयंती का दिन हिन्दू धर्म के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है क्योकि इसी दिन भगवद गीता भगवान श्री कृष्णा द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र में सुनाई गयी थी | आज ही के दिन गीता को पहली बार खुद भगवान विष्णु के रूप श्री कृष्णा जी द्वारा सुनाया गया था | भगवद गीता हिन्दू धर्म में एक पवित्र शास्त्र है जिसमे की मनुष्य जाति के हर प्रकार के सवालों का जवाब मिल जाता है इसीलिए यह दिन हमारे लिए काफी अधिक महत्व रखता है | हम आपको गीता जयंती के बारे में कुछ रोचक जानकारी देते है जिस जानकारी की मदद से आप अपनी सभी समस्याओ का समाधान गीता द्वारा पा सकते है |
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गीता जयंती कब मनाई जाती है
Gita Jayanti Kab Manayi Jati Hai : हिन्दू धर्म में गीता को एक पवित्र ग्रन्थ का दर्जा प्राप्त है क्योकि यह खुद भगवान के अवतार द्वारा कही गयी थी इसी दिन गीता जैसे धार्मिक ग्रन्थ का प्रादुर्भाव किया गया था | हिंदी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन गीता का प्रादुर्भाव हुआ था | गीता जयंती 2020 हो या कोई और साल हर बार मोक्षदा एकादशी के दिन ही मनाई जाती है | 2020 में भी यह जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन ही 30 नवंबर को ही मनाई जाती है |
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गीता जयंती महत्व
Geeta Jayanti Mahatv : गीता एक मनुष्य की सभी शंकाओ को दूर करने का काम करती है जो भी बाते गीता में लिखी होती है वह सभी बाते शत-प्रतिशत सही होती है गीता एक आत्मा व परमात्मा के स्वरुप को व्यक्त करती है जिससे की आम मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी समस्याओ का निवारण हो सकता है | आज का मनुष्य भोग विलास, भौतिक सुखों, काम वासनाओं में व्यस्त होने की वजह से अपने सही कर्मो से दूर हो हो चुका है जिस कारणवश उसे सही व गलत का बोध नहीं रहता इसीलिए गीता के अंदर सही व गलत का बोध करने के सभी तरीके मौजूद है इसके पाठ करने मात्र से ही इंसान अपनी तीर्थो की यात्रा को पूर्ण कर सकता है |
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गीता जयंती कैसे मनाये
Gita Jayanti Kaise Manaye : गीता जयंती कैसे मनाई जाती है ? इसके बारे में जानकारी पाने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी को पढ़ सकते है और गीता जयंती को सही प्रकार से मना सकते है :
- भगवान कृष्ण को समर्पित सभी मंदिरों में इस दिन जश्न किया जाता है, जिसमें विशेष प्रकार की पूजा की जाती है।
- भारत और विदेश के विभिन्न हिस्सों से भक्त, इस दिन कुरुक्षेत्र की यात्रा करते है और पवित्र नदियों में स्नान करने आते है |
- पवित्र नदियों में स्नान के अलावा, अंत में भगवान श्री कृष्णा की आरती के साथ घर पर भगवान कृष्ण की पूजा की जा सकती है।
- एकादशी के दिन पड़ने के कारणवश कई लोग इस दिन उपवास भी रखते है इसीलिए वह लोग चावल, दाल या अन्य किसी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करते है |
- इस विशेष दिन पर गीता की व्याख्या के माध्यम से आज के युवाओं को धर्म के मूल्य को सिखाने के लिए कई संगठित समारोह किये जाते है |
- मानव भलाई के लिए गीता में बताये गए उपदेशो पढ़ा जाता है व अन्य लोगो को सुनाया जाता है |
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