Pratham Vishvayudh – Itihas, Karan Evam Parinam : विश्व युद्ध को हम द ग्रेट वॉर व ग्लोबल वॉर के नाम से भी जानते है यह युद्ध सालो तक चला जिस युद्ध में करीब करोडो लोगो की जान गयी | इसे ग्रेट वॉर इसीलिए कहा जाता है की पुरे विश्व में आज तक ऐसा युद्ध नहीं हुआ और यह युद्ध 28 जुलाई 1914 से हुआ और 11 नवंबर 1918 यानि युद्ध 52 महीने तक चला | इसीलिए हम आपको विश्व युद्ध से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के ऊपर कुछ बाते बताते है जिन बातो को जानकर आप जान सकते है की विश्वयुद्ध का क्या कारण था ? या इसमें कितने मरने वाले कितने लोग थे या इस विश्व युद्ध का क्या परिणाम रहा इसके बारे में पूरी जानकारी पाने के लिए हमारे माध्यम से जानकारी पा सकते है |
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प्रथम विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण
Pratham Vishvayudh Ke Karan : जब कोई युद्ध होता है तो उस युद्ध का कोई न कोई कारण भी होता है इसीलिए प्रथम विश्वयुद्ध होने का भी कारण था | वैसे तो प्रथम विश्वयुद्ध के चार प्रमुख कारण थे जिन्हे हम MAIN के रूप में याद रख सकते है।जिसमे की M मिलिट्रीज्म, A अलायन्स सिस्टम, I इम्पेरिअलिस्म और N नेशनलिज्म के लिए आया है। कुछ अन्य करने बारे में जानकारी पाने के लिए आप नीचे बताई गयी जानकारी पढ़ सकते है :
- मिलिट्रीज़्म – M
- अलायन्स सिस्टम – A
- इम्पेरिअलिस्म (साम्राज्यवाद) – I
- राष्ट्रवाद या नेशनलिज्म – N
- गुप्त संधियों के प्रचलन की वजह से
- राष्ट्रीय भावना के विकास की वजह से
- तात्कालिक कारण
- सैन्यवाद व शस्त्रीकरण पर जोर के कारणवश
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प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम
Pratham Vishvyudh Ke Parinam : जब कोई युद्ध होता है तो उस युद्ध को ख़त्म करने के लिए किसी न किसी परिणाम पर पहुंचना पड़ता है उसी तरह प्रथम विश्व युद्ध भी अपने परिणाम पर पहुँचने पर ही खत्म हुआ जाने की हुआ इस युद्ध का परिणाम ?
राजनितिक परिणाम
- लोकतंत्र का विकास हो गया |
- निरंकुश राजतंत्रो का खात्मा हुआ |
- शस्त्रीकरण की होड़ लग गयी |
- राष्ट्रीयता का विकास हुआ |
- लघु राज्यों का उदय व विकास होने लगा |
- राष्ट्र संघ की स्थापना हुई |
- नवीन वादों का उदय हुआ |
- साम्यवाद का विकास संभव हो पाया |
सामजिक परिणाम
- महिलाओ की स्थिति में सुधार हो पाया |
- वैज्ञानिक प्रगति पर प्रभाव पड़ा |
- अल्पसंख्यको की समस्या उत्पन्न हुई |
- सांस्कृतिक हानि
- जान माल की बहुत हानि हुई |
- मज़दूर वर्ग की स्थिति में सुधार भी हुआ |
आर्थिक परिणाम
- धन सम्पदा की हानि हुई |
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी क्षति हुई |
- मुद्रा स्फीति प्रभावित हुई |
- युद्ध ऋणों की समस्या उत्पन्न हो गयी |
- बेरोजगारी प्रभावित हुई |
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर का इतिहास | हिस्ट्री
First World War Ke Kuch Mahatvpurna Tathya : जब पहला वर्ल्ड वॉर हुआ था उस समय कुछ महत्वपूर्ण और रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी हम आपको देना चाहते है जिस जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी को पढ़ सकते है :
- विश्वयुद्ध की प्रथम लड़ाई ऑस्ट्रिया के द्वारा सर्बिया पर आक्रमण 28 जुलाई 1914 में किये जाने पर हुई |
- इस युद्ध में लगभग 37 देशो ने भाग लिया और यह युद्ध लगभग 4 सालो तक चला |
- ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या के कारणवश ही यह युद्ध हुआ |
- विश्वयुद्ध के दौरान पुरे वर्ल्ड को दो भागो में बांटा गया जिसमे की पहले भाग था मित्र राष्ट्र और दूसरा था धुरी राष्ट्र |
- उस समय जर्मनी धुरी राष्ट्र का नेतृत्व कर रही थी जिसमे की जर्मनी के अलावा आस्ट्रिया, हंगरी, बल्गारिया, उस्मानिया इत्यादि देश भी शामिल हुए थे |
- मित्र राष्ट्रों में अमेरिका, जापान, इंग्लैंड, रूस, ब्रिटेन, इटली व फ्रांस शामिल हुए थे |
- बिस्मार्क को गुप्त संधियों का जनक कहा जाने लगा |
- 1882 में त्रिगुट का निर्माण ऑस्ट्रिया जर्मनी व इटली द्वारा किया गया |
- जर्मनी ने फ्रांस पर व 3 अगस्त व रूस पर 1 अगस्त 1914 को हमला किया था उसके बाद इंग्लैंड भी 8 अगस्त 1914 को युद्ध में शामिल हो गया था |
- 26 अप्रैल 1915 को इटली मित्र राष्ट्रों में शामिल हो गया फिर 6 अगस्त 1917 को अमेरिका भी इस विश्वयुद्ध में शामिल हो गया |
- अमेरिका का विश्वयुद्ध में शामिल होने का कारण इंग्लैंड के लुसितेनिया नामक जहाज को जर्मनी के यु-बोट द्वारा डुबो दिए जाने के कारणवश था। इस जहाज पर मरने वाले 1153 लोगों में से 128 लोग अमेरिकन थे।
- इस विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों के करीब 5,525,000 सैनिक मारे गए, 12,831,500 घायल हुए, 4,121,000 सैनिक लापता हुए यानि करीब 22,477,500 टोटल सैनिक कारे गए |
- इसके अलावा धुरी राष्ट्रों में 4,386,000 सैनिक मारे गए, 8,388,000 सैनिक घायल हुए तथा 3,629,000 सैनिक लापता हुए यानि की करीब 16,403,000 सैनिक इस युद्ध में धुरी राष्ट्रों को हानि हुई |
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पहला विश्व युद्ध और भारत
प्रथम विश्वयुद्ध में भी भारतीय योगदान रहा इस युद्ध में लगभग 8 लाख भारतीय सैनिक ने लड़ाई लड़ी 47746 सैनिक मारे गये और 65000 गंभीर रूप से घायल हुए जिस कारणवश भारत की अर्थव्यवस्था लगभग दिवालिया हो गयी थी जिसके बाद भारत के बड़े-2 नेताओ की आशा थी की हो सकता है की ब्रिटिश शासन भारतीयों के विश्वयुद्ध में इस समर्थन को लेकर भारत को स्वतंत्र कर देंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |
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