इतिहास

Eid Ul Adha

 ईद-उल-अजहा : ईद इस्लाम धर्म का प्रमुख त्यौहार है | मुस्लिम धर्म में ईद तीन तरह की होती है पहली ईद-उल-अजहा, दूसरी ईद-उल-फितर और तीसरी रमजान की ईद होती है | यह सभी ईद समर्पण, त्याग और इंसानियत का प्रतीक होती है और इसके अलावा यह ईद भाईचारे को दर्शाती है | इसीलिए हम आपको ईद-उल अजहा के बारे में बताते है की यह क्यों मनाई जाती है ? इसका क्या महत्व है ? कहा जाता है की इस ईद के दिन बकरे को पाला जाता है जो ईद के दिन ही उस बकरे की बलि दी जाती है और उसी को पका कर खाया जाता है | भारत में यह त्यौहार जम्मू एंड कश्मीर, तेलंगाना उत्तर प्रदेश और केरला जैसे राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है |

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बकरा ईद कितनी तारीख की है

Bakra Eid Kitni Tarikh Ki Hai : ईद उल अजहा का त्योहार हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में मनाया जाता है इस्लाम धर्म में बकरीद को लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है और इस्लाम धर्म के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को खुदा के लिए कुर्बान करने जा रहे थे यही देख कर खुदा ने उनके पुत्र को जीवित कर दिया | बस इसी मान्यता के आधार पर दुनिया भर में ईद मनाई जाती है और इस बार  ईद उल अजहा 2020 में 2 सितम्बर को मनाई जा रही है | देश भर में इसकी डेट ईद का चाँद देखने के बाद ही इसकी तारीख तय की जाती है उसी आधार पर 1 सितम्बर की रात को ईद का चाँद दिखाई देने के बाद उसके अगले दिन ईद की बधाई स्टार्ट हो जाती है |

बकरा ईद कितनी तारीख की है

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History Of Eid ul Adha In Hindi

हिस्ट्री ऑफ़ ईद उल अजहा इन हिंदी : ईद उल अजहा के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है इस कहानी के मुताबिक हज़रत मुहम्मद साहब जिन्हे अल्लाह का दर्जा प्राप्त है और उन्हें अल्लाह का बंदा कहा जाता है | एक बार अल्लाह ने स्वप्न में अल्लाह को देखे और अल्लाह ने उनको आदेश दिया की वे तभी प्रसन्न होंगे जब तुम अपनी सबसे अजीज वस्तु की क़ुरबानी दोगे | तब यह सब देखना चाहते है हज़रत इब्राहिम जो की अल्लाह के बन्दे थे उनकी सबसे अजीज वस्तु क्या है और वह अल्लाह को क्या कुर्बान करेंगे |

Story of Bakrid in Hindi

स्टोरी ऑफ़ बकरीद इन हिंदी : तभी क़ुरबानी का समय नज़दीक आ गया तब देखा गया की हज़रत इब्राहिम की सबसे अजीज चीज़ कोई और नहीं खुद उनका बेटा था और अपने दस वर्षीय बेटे हज़रत इस्माइल को क़ुरबानी के लिए ले आये | लेकिन उनसे क़ुरबानी दी नहीं जाती तभी हज़रत जी ने अपने आँखों में पट्टी बाँध ली और बेटे को क़ुरबानी के लिए रख दिया | जब वह क़ुरबानी के लिए तैयार हुए तब उन्होंने देखा की खुद के रहमो कर्म से उनका बेटा सुरक्षित है और खुदा ने उनके बेटे की जगह एक बकरे को भेज दिया | अल्लाह ने बकरे को इस्माइल की जगह रख दिया और बकरे की क़ुरबानी कबूल की | इस्लाम धर्म में यह त्यौहार इसीलिए मनाया जाता है |

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