कोट्स (Quotes)

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Ke Anmol Vichar : हमारे स्वतंत्र भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी थे जिनका जन्म इनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था और इनका पूरे भारत में जन्मदिन 5 सितम्बर को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है | 1954 में इन्हे भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया था यह एक प्रेरणादायक व्यक्ति थे जिसकी वजह से इन्हे सर्वश्रेष्ठ गुरु की उपाधि भी मिली हुई थी | इसीलिए हम आपको इनके कुछ महत्वपूर्ण विचारो के बारे में बताते है जिन विचारो को जानने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी को पढ़ सकते है |

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रेरणादायक विचार

Sarvepalli Radhakrishnan Ke Prernadayak Vichar : डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक प्रेरणादायक व्यक्ति थे उनके द्वारा कहे गए कथन हम सभी लोगो के लिए बहुत प्रेरणादायक होता जिसके लिए हम आपको नीचे बताये गए कुछ बेहतरीन कथन बताते है जिन्हे पढ़ कर आप इनके बारे में बहुत कुछ जान सकते है :

शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकते बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है।

किताब पढना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है।

कवी के धर्म में किसी निश्चित सिद्धांत के लिए कोई जगह नहीं है।

भगवान् की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके के नाम पर बोलने का दावा करते हैं। पाप पवित्रता का उल्लंघन नहीं ऐसे लोगों की आज्ञा का उल्लंघन बन जाता है।

दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जायेंगे यदि यह सत्य कि प्रेम द्वेष से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नही करता।

केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।

उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है। हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।

ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए।

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Sarvepalli Radhakrishnan Quotes In Hindi

सर्वपल्ली राधाकृष्णन कोट्स इन हिंदी : अगर आप भारत में महान राष्ट्रपति सर्वपल्ली जी के कोट्स जानना चाह रहे है तो इसके लिए हमने आपको कुछ कोट्स बताये है जिन्हे आप पढ़ सकते है :

लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है।

जीवन को बुराई की तरह देखता और दुनिया को एक भ्रम मानना महज कृतध्नता है।

हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है।

कोई भी जो स्वयं को सांसारिक गतिविधियों से दूर रखता है और इसके संकटों के प्रति असंवेदनशील है वास्तव में बुद्धिमान नहीं हो सकता।

धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।

मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय अगर 5 सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए सम्मान की बात होगी

भगवान सभी आत्माओं का आत्मा है – सर्वोच्च आत्मा – सर्वोच्च चेतना

जो खुद को दुनिया की गतिविधियों से दूर कर सकता हैं और दूसरो का दुःख नही समझता, वह इंसान नही हो सकता हैं

राष्ट्र, लोगों की तरह सिर्फ जो हांसिल किया उससे नहीं बल्कि जो छोड़ा उससे भी निर्मित होते हैं।

कहते हैं कि धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन के मोटिवेशनल विचार

Sarvepalli Radhakrishnan Ke Motivational Vichar : इनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली होता है जिसके लिए आप उनके कुछ मोटिवेशनल कोट्स, वचन या विचार बताते है जिन्हे पढ़ कर आप बहुत कुछ जान सकते है :

यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है , यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है। यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है।

मानवीय जीवन जैसा हम जीते हैं वो महज हम जैसा जीवन जी सकते हैं उसक कच्चा रूप है।

आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है।

मौत कभी अंत या बाधा नहीं है बल्कि अधिक से अधिक नए कदमो की शुरुआत है।

जीवन का सबसे बड़ा उपहार एक उच्च जीवन का सपना है।

मानवीय स्वाभाव मूल रूप से अच्छा है, और आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा।

मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नही बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है।

धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं खुद जीवन नहीं।

एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता।

हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशाशन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो।

शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

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