Dr. Ram Manohar Lohiya Ke Vichar : डॉ. राम मनोहर लोहिया जी भारत के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्रामियों में से एक थे और वह सभी लोगो को बराबर का दर्जा देते थे तथा वह जाती प्रथा के विरोधी थे | भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | इनका जन्म 23 मार्च 1910 को अकबरपुर के उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था पेशे से वह एक राजनीतिज्ञ व सामजसेवी थे इनकी मृत्यु 57 साल की उम्र में 12 अक्टूबर 1967 में नई दिल्ली में हुई थी | गाँधी जी के विचारो के अनुसार वह एक साहसी तथा स्पष्टवादी व्यक्ति थे इसीलिए हम आपको उनके कुछ महत्वपूर्ण विचारो के बारे में बताते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकते है |
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राम मनोहर लोहिया के आर्थिक विचार
हमें समृद्धि बढानी है, कृषि का विस्तार करना है, फैक्ट्रियों की संख्या अधिक करनी है लेकिन हमें सामूहिक सम्पत्ति बढाने के बारे में सोचना चाहिए; अगर हम निजी सम्पति के प्रति प्रेम को ख़त्म करने का प्रयास करें, तो शायद हम भारत में एक नए समाजवाद की स्थापना कर पाएं
लोगों के छोटे समूहों को शक्ति देकर, प्रथम श्रेणी का लोकतंत्र संभव है
यदि हमारे कृषि को मैकेनाइज़्ड कर दिया जाए तो इस आधार पर 8 करोड़ किसानो को शहरों में जाना पड़ेगा
अर्थव्यवस्था में एक माध्यम के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग काम की उत्पादकता को घटाता है. शिक्षा में सीखने को कम करता है और रिसर्च को लगभग ख़त्म कर देता है, प्रशासन में क्षमता को घटाता है और असमानता तथा भ्रष्टाचार को बढ़ाता है
अगर भारत बड़े पैमाने पर टेक्नोलॉजी का प्रयोग करता है, तो करोड़ों लोगों को ख़त्म करने की आवश्यकता पड़ेगी
अंग्रेजी अल्पसंख्यक शासन और शोषण का एक साधन है, जिसका प्रयोग 40 या 50 लाख अल्पसंख्यक रूलिंग क्लास इंडियंस 40 करोड़ से अधिक लोगों पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए प्रयोग कर रहे हैं
अपने आर्थिक उद्देश्य में, पूंजीवाद बड़े पैमाने पर उत्पादन, कम लागत और मालिकों को लाभ पहुंचाना चाहता है
मिडल स्कूल तक शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य होनी चाहिए और उच्च स्तर पर शैक्षिक सुविधाएं मुफ्त या सस्ते में उपलब्ध कराई जानी चाहिए, खासतौर से अनुशुचित जाति, जनजाति और समाज के अन्य गरीब वर्गों को. मुफ्त या सस्ती आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए
इस देश की स्त्रियों का आदर्श सीता सावित्री नहीं, द्रौपदी होनी चाहिए
मर्यादा केवल न करने की नहीं होती है, करने की भी होती है. बुरे की लकीर मत लांघो, लेकिन अच्छे की लकीर तक चहल पहल होनी चाहिए
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राम मनोहर लोहिया के सामाजिक विचार
अंग्रेजों ने बंदूक की गोली और अंग्रेजी की बोली से हमपर राज किया
भारत में कौन राज करेगा ये तीन चीजों से तय होता है. उंची जाति, धन और ज्ञान. जिनके पास इनमे से कोई दो चीजें होती हैं वह शासन कर सकता है
जाति तोड़ने का सबसे अच्छा उपाय है, कथित उच्च और निम्न जातियों के बीच रोटी और बेटी का संबंध
ज्ञान और दर्शन से सब काम नहीं होता. ज्ञान और आदत, दोनों को ही सुधारने से मनुष्य सुधरता है.
भड़भड़ बोलने वाले क्रांति नहीं कर सकते, ज्यादा काम भी नहीं कर सकते. तेजस्विता की जरूरत है बकवास की नहीं
इस देश की औरतों के लिए आदर्श सावित्री नहीं, द्रोपदी होनी चाहिए
नारी को गठरी के समान नहीं बल्कि इतनी शक्तिशाली होनी चाहिए कि वक्त पर पुरुष को गठरी बना अपने साथ ले चले
भारतीय नारी द्रौपदी जैसी हो, जिसने कि कभी भी किसी पुरुष से दिमागी हार नहीं खाई
जाति प्रथा के विरुद्ध विद्रोह से ही देश में जागृति आयेगी.
सामाजिक परिवर्तन के बड़े काम जब प्रारंभ होते हैं, तो समाज के कुछ लोग आवेश में आकर इसका पूर्ण विरोध करते हैं
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लोकतंत्र पर लोहिया के विचार हिंदी मे
त्याग हमेशा शांतिदायक और संतोषप्रद होता है
आधुनिक अर्थव्यवस्था के माध्यम से गरीबी को दूर करने के साथ, ये अलगाव (जाति के) अपने आप ही गायब हो जाएंगे
अंग्रेजी का इतना दबदबा कहीं नहीं है. इसीलिए भारत आजाद होते हुए भी गुलाम है
जात-पात भारतीय जीवन की सबसे सशक्त प्रथा रही है, यहाँ जीवन जाति की सीमाओं के भीतर ही चलता है
ज़िन्दा कौमें सरकार बदलने के लिए पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं
जाति अवसर को सीमित करती है. सीमित अवसर क्षमता को संकुचित करता है. संकुचित क्षमता अवसर को और भी सीमित कर देती है. जहाँ जाति का प्रचलन है, वहां अवसर और क्षमता हमेशा से सिकुड़ रहे कुछ लोगों के दायरे तक सीमित है
मार्क्सवाद एशिया के खिलाफ यूरोप का अंतिम हथियार है
बिना काम के सत्याग्रह क्रिया के बिना एक वाक्य की तरह है
अंग्रेजी का प्रयोग मौलिक सोच में अवरोध है, हीनता की भावनाओं का प्रजनक है और शिक्षित एवं अशिक्षित जनता के बीच की दूरी है. आइये, हम हिंदी की असल प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के लिए संगठित हो जाएं
भारत में असमानता सिर्फ आर्थिक नहीं है; यह सामाजिक भी है
यदि एक समाजवादी सरकार बल प्रयोग करे, जिसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों की मौत हो जाए तो तो उसे शासन करने का कोई अधिकार नहीं है
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