Diwali Par Lakshmi Ke Sang Kyo Puje Jate hai Shri Ganesh : दिवाली का दिन ख़ुशी से भरा त्यौहार है और इस दिन को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है | भारत के सभी लोग जानते है की दिवाली के दिन श्री गणेश जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है लेकिन क्या अपने कभी यह जाना है की उन दोनों देवी देवताओ की ही पूजा क्यों की जाती है ? अगर आपको इसके बारे में जानकारी नही है तो हम आपको बताते है की दीपावली के दिन श्री गणेश और माता लक्ष्मी जी की ही पूजा क्यों की जाती है ? इसके बारे में एक रोचक कथा है जिसकी जानकारी हम आपको अपनी इस पोस्ट द्वारा देते है |

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क्यों हम दीवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा

एक बार की बात है एक वैरागी साधु था उसे अपने धार्मिक जीवन को छोड़ कर राज सुख भोगने की इच्छा जाग्रत हुई इसके लिए उसने देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आराधना की | लक्ष्मी जी उनकी आराधना से खुश हुई और इसके लिए वह उस साधु के सामने प्रकट हुई और उसने वरदान मांगने के लिए कहा ? तब साधु ने उनसे उच्चा पद पाने की इच्छा माँ लक्ष्मी वरदान स्वरुप उसे उस साधु का वर दे दिया | तब राजा को बहुत ख़ुशी हुई और उसे इस बात का अहंकार हो गया |

तब वह राजा के दरबार में गया और अहंकार स्वरुप राजा को धक्का मर दिया जिसकी वजह से राजा का मुकुट जमीन पर गिर पड़ा | राजा और प्रजा के बाकि लोगो ने देखा की राजा का जो मुकुट जमीन में गिरा हुआ था उस मुकुट में से एक काला नाग निकल कर भागा | तब प्रजा के सभी लोगो को लगा की यह साधु चमत्कारी है और उनकी जय-जयकार करने लगे तभी राजा ने उस साधु से प्रसन्न होकर उसे अपने राजदरबार का मंत्री बना दिया | जिसकी वजह से उस साधु के अंदर और अधिक अहंकार आ गया |

तभी एक दिन व साधु ने अहंकारस्वरूप राजा को उसका हाथ पकड़ कर गुस्से से दरबार से बाहर ले जाते है जिसकी वजह से बाकि प्रजा के सभी लोग भी उनके पीछे चलने लगते है | तभी वहां कुछ समय बाद अतितीव्र भूकंप आता है और बाकी लोग साधु के कारणवश बाहर निकल जाते है जिसकी वजह से सबकी जान बच जाती है | राजा उनकी इस कूटनीति से बहुत खुश होता है जिसकी वजह से उसे राजा के दरबार में बहुत अधिक सम्मान मिलने लग जाता है और अलग से महल भी मिल जाता है | तब उस साधू में और अधिक अहंकार आ जाता है |

क्यों हम दीवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा

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दिवाली के दिन क्यों की जाती है गणेश-लक्ष्मी की पूजा एक साथ?

उसके बाद एक दिन राजा की सभा हो रही है होती है तभी बाह साधु उस सभा में गणेश जी की प्रतिमा को यह कह कर हटवा देते है की उनकी यह प्रतिमा दिखने में अच्छी नही है | जिस कारणवश गणेश जी उन पर क्रोधित हो जाते है और उनकी बुद्धि भ्रष्ट कर देते है | जिस कारणवश वह साधु राजा के दरबार में सभी काम बिगड़े हुए करने लगता है जिसकी वजह से वह राजा उस साधु को कारागार में डाल देता है |

कारागार में जाने के बाद वह साधु दुबारा से माँ लक्ष्मी जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करता है और माँ लक्ष्मी उनके सामने साक्षात् दर्शन देकर बोलती है की तुम्हरी इस दशा का कारणवश तुम्हारी भूल है | क्योकि चाहे तुम्हरे पास लक्ष्मी हो लेकिन जब तक तुम्हारी बुद्धि ठीक से काम नही करेगी तब तक वह लक्ष्मी भी तुम्हारे पास अधिक समय तक नही रहेगी | तुमने गणेश जी का अपमान किया जिसकी वजह से तुम्हारे साथ यह हुआ | इसीलिए अगर तुम अपने पापो का प्रायश्चित चाहते हो तो इसके लिए गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करो | तब वह साधु पूरे मन से श्री गणेश जी की अर्धना करता है और गणेश जी अपना क्रोध भूल कर उन्हें क्षमा कर देते है |

इसीलिए तब से अब तक जब भी लक्ष्मी की पूजा होती है तभी उनके साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है और दिवाली के दिन भी इसीलिए माँ लक्ष्मी और श्री गणेश दोनों की पूजा एक साथ की जाती है |

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दिवाली पर लक्ष्मी के संग क्यों पूजे जाते हैं श्री गणेश
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