शायरी (Shayari)

Bashir Badr Shayari

बशीर बद्र शायरी : बशीर बद्र जैसा उर्दू का वह शायर है जिसने उर्दू जगत में अपनी शायरियो से लोगो के दिल में जगह बनाई है इनका जन्म 15 फरवरी 1936 में कानपूर में हुआ था इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है इन्होंने हिदी और उर्दू में कई शायरियां लिखी जिनकी वजह से आज इनका नाम इतना प्रसिद्ध हुआ है | बशीर जी द्वारा लिखी गयी कुछ दिल छूने वाली शायरी जो की अनेक उर्दू के शायर जैसे आनिस मोईन और जावेद अख्तर जैसे शायरों को भी टक्कर देते है तो आप जानिए बशीर बद्र जी द्वारा किये गए दो लाइन के शेर जो की काफी प्रेरणादायक भी है और अगर आप लव संबंधी शायरियां जानना चाहे तो आप हमारे इस शायरियो के माध्यम से भी जान सकते है |

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Bashir Badr Sad Shayari

बशीर बद्र सैड शायरी : अगर आपका दिल दुखी है या आप सैड है तो आप बशीर जी की इन शायरियो को पढ़े जिससे की आपको अद्भुत आनंद की प्राप्ति होगी :

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा

अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते

अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे

अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते

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Bashir Badr Mushaira

बशीर बद्र मुशायरा : बशीर जी द्वारा कही गयी कुछ ऐसे ही ग़ज़ल पर शेर जो की आपका दिल छू लेती है तो जाने हमारे माध्यम से इन सभी को :

अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला
जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते

इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं

इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं

Bashir Badr Sad Shayari

Bashir Badr Two Liners

बशीर बद्र टू लाइनर्स : इसमें को सभी दो लाइन की शायरिया मिलती है जिन्हें अगर आप चाहे तो आज ही शेयर कर सकते है अपने दोस्तों के साथ :

इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

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Bashir Badr Poetry In Urdu

बशीर बद्र पोएट्री इन उर्दू : बशीर बद्र की उर्दू में शायरी जानने के लिए आप हमारे इन शायरियो को जान सकते है जिससे की आपको मिलते है कई और बेहतरीन शायरियां वो भी उर्दू में :

उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है

उस की आँखों को ग़ौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं

उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बअ’द मिरी आँखों में आँसू आए

उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है
कोई फूल लाख क़रीब हो कभी मैं ने उस को छुआ नहीं

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है

चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
छत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो

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