अपरा एकादशी : अपरा एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखती है तो आज हम आपको हिन्दू धर्म के प्रमुख एकादशी के व्रत में से एक व्रत है समस्त पापों का नाश हो जाता है | जैसा की हम सभी जानते है की एकादशी हर माह आती है और इससे पहले हम आमलकी एकादशी, विजया एकादशी, जया एकादशी और षटतिला एकादशी पढ़े चुके है | अपरा एकादशी भी ज्येष्ठा माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवी तिथि को आती है 2020 में अपरा एकादशी का व्रत 22 मई को रखा जाने का प्रावधान है | तो आज हम आपको अपरा एकादशी के बारे में बताते है की इस व्रत में क्या करना चाहिए या क्या नहीं ? या किस तरह से व्रत रखेंगे या क्या है इस व्रत की कथा इन सबकी जानकारी आप हमारे माध्यम से जान सकते है |
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Apara Ekadashi Vrat Katha
अपरा एकादशी व्रत कथा : एक बार एक महीध्वज नाम का बहुत प्रसिद्ध राजा थे इसके छोटे भाई का नाम वज्रध्वज था जो की अपने बड़े भाई महीध्वज से बैर रखता था और एक दिन उसने धोके से अपने बड़े भाई राजा महीध्वज का वध कर दिया और वही एक पीपल का पेड़ था उस पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया | उनके शरीर का दाह संस्कार न होने की वजह से राजा की आत्मा उसी पीपल के पेड़ के नीचे भटकने लगी और हर वह से गुजरने वाले हर व्यक्ति को परेशान करने लगी |
तभी एक दिन वह से एक ऋषि गुज़र रहे थे उन्हें इस बात का ज्ञान था की यहाँ कोई आत्मा विराजमान है इसीलिए उन्होंने तपोबल से राजा की इस अवस्था का कारण जाना और ऋषि ने उस आत्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और और परलोक विद्या का उपदेश दिया | और उन्होंने अपरा एकादशी का व्रत राजा की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए रखा | और व्रत पूरा करने पर द्वादशी को व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया | जिसके फलस्वरूप वो राजा प्रेतयोनि से मुक्त होकर स्वर्ग में वास हो गया |
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अपरा एकादशी व्रत विधि
Apara Ekadashi Vrat Vidhi : अपरा एकादशी के दिन आपको निम्न प्रकार से इन सभी का पालन करने के बाद ही व्रत रखना चाहिए जिससे आपका व्रत सफल पूर्ण होगा |
- इस व्रत को रखने के लिए मनुष्य को दशमी के दिन से खान- पान, आचार- विचार द्वारा करनी चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह उठकर मनुष्य को स्नान करना चाहिए तथा तन और मन से स्वच्छ होना चाहिए।
- इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है।
- उसके बाद आपको केवल जल के ऊपर ही उपवास का रखना है, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं |
- द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए।
- कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
- अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।
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Apara Ekadashi Significance
अपरा एकादशी सिग्नीफिकेन्स : पुराणों के अनुसार अगर आप अपरा एकादशी का व्रत रखते है तो आपको गर्भपात, ब्रह्महत्या, राक्षस योनि, झूठ, बुराई व अन्य पापों से मुक्ति का अवसर प्राप्त होता है | इस व्रत को करने से तीर्थ यात्रा, पिंड दान, सुवर्ण दान आदि पुण्य कामो से बढ़ कर फल मिलता है | एकाधी का भगवन विष्णु का दिन होता है और उन्ही के लिए हम इस व्रत को रखते है | पुरे विधि-विधान से पूजन करने के बाद आपको सौभाग्यवश पापो से मुक्ति, तथा भगवन विष्णु का धाम प्राप्त होता है |
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