ऐतबार साजिद शायरी : ऐतबार साजिद एक पाकिस्तान के उर्दू शायर थे इनका जन्म 1948 में हुआ था तो आज हम आपको साजिद जी द्वारा लिखी गयी कुछ लव शायरी | ऐतबार साजिद द्वारा कही गयी कुछ दिल छूने वाली शायरी जिनके माध्यम से आप जान सकते है कई लव संबंधी शायरी और इसके अलावा अपने देश के बहुत बड़े-2 शायर कुमार विश्वास, ग़ालिब, और इमरान प्रतापगढ़ी की बेहतरीन शायरिया जाने हमारे माध्यम से | वैसे अपने बहुत अलग-2 भाषा जैसे पंजाबी शायरी, उर्दू शायरी, और इस्लामिक शायरी सुनी होंगी लेकिन हम आपको मशहूर शायर ऐतबार साजिद द्वारा कहे गए दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है |
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Aitbaar Poetry Urdu 2 Lines
ऐतबार पोएट्री उर्दू 2 लाइन्स : ऐतबार जी द्वारा कही गयी बेहतरीन उर्दू शायरियो को जाने हमारे पास से और आज ही शेयर करे अपने दोस्तों को :
अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम को
वो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे
अजब नशा है तिरे क़ुर्ब में कि जी चाहे
ये ज़िंदगी तिरी आग़ोश में गुज़र जाए
बरसों ब’अद हमें देखा तो पहरों उस ने बात न की
कुछ तो गर्द-ए-सफ़र से भाँपा कुछ आँखों से जान लिया
भीड़ है बर-सर-ए-बाज़ार कहीं और चलें
आ मिरे दिल मिरे ग़म-ख़्वार कहीं और चलें
छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़ मफ़ादात के साथ
लोग ज़िंदा हैं अजब सूरत-ए-हालात के साथ
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Aitbar Sajid Romantic Poetry
ऐतबार साजिद रोमांटिक शायरी : यदि रोमांटिक शायरी जानना चाहे तो हमारे इस रोमांटिक शायरियो के माध्यम से जान सकते है जिसमे की आपको मिलती है कई बेहतरीन शायरियो का खजाना :
डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए
एक लड़की ने मिरा दीवान ख़ाली कर दिया
दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ
शायद उस के लौट आने का कुछ इम्कान अभी बाक़ी है
ग़ज़ल फ़ज़ा भी ढूँडती है अपने ख़ास रंग की
हमारा मसअला फ़क़त क़लम दवात ही नहीं
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर
इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ
इतना पसपा न हो दीवार से लग जाएगा
इतने समझौते न कर सूरत-ए-हालात के साथ
Aitbar Poetry In Urdu
जिस को हम ने चाहा था वो कहीं नहीं इस मंज़र में
जिस ने हम को प्यार किया वो सामने वाली मूरत है
जो मिरी शबों के चराग़ थे जो मिरी उमीद के बाग़ थे
वही लोग हैं मिरी आरज़ू वही सूरतें मुझे चाहिएँ
जुदाइयों की ख़लिश उस ने भी न ज़ाहिर की
छुपाए अपने ग़म ओ इज़्तिराब मैं ने भी
किसे पाने की ख़्वाहिश है कि ‘साजिद’
मैं रफ़्ता रफ़्ता ख़ुद को खो रहा हूँ
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ
जनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ
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ऐतबार साजिद फेसबुक : ऐतबार साजिद जैसे प्रसिद्ध शायर की शायरियो को आप फेसबुक पर शेयर कर सकते है इसके अलावा आप अपने दोस्तों को भी शेयर कर सकते है :
मकीनों के तअल्लुक़ ही से याद आती है हर बस्ती
वगरना सिर्फ़ बाम-ओ-दर से उल्फ़त कौन रखता है
मेरी पोशाक तो पहचान नहीं है मेरी
दिल में भी झाँक मिरी ज़ाहिरी हालत पे न जा
मुझे अपने रूप की धूप दो कि चमक सकें मिरे ख़ाल-ओ-ख़द
मुझे अपने रंग में रंग दो मिरे सारे रंग उतार दो
मुख़्तलिफ़ अपनी कहानी है ज़माने भर से
मुनफ़रिद हम ग़म-ए-हालात लिए फिरते हैं
पहले ग़म-ए-फ़ुर्क़त के ये तेवर तो नहीं थे
रग रग में उतरती हुई तन्हाई तो अब है
फिर वही लम्बी दो-पहरें हैं फिर वही दिल की हालत है
बाहर कितना सन्नाटा है अंदर कितनी वहशत है
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