1857 Ke Swantrata Senani : हमारा देश पहले ब्रिटिश शासन का ग़ुलाम था इसके बारे में हम सभी जानते है हमें स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 में आकर मिली लेकिन इसके लिए हमारे कई महापुरुष पहले से लगे हुए थे | 1857 की क्रांति में हमारे कई स्वंत्रता सेनानियों ने अपनी जान गवा दी इसीलिए हम आपको उनमे से कुछ महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगो के बारे में बताता हूँ जिनकी वजह से हमें आजादी मिलना सभव हुआ | भारत के स्वाधीनता संग्राम में महिलाओ और पुरुषो ने भी भाग लिए और अपनी जान भी गवाई हम उन्ही कुछ क्रांतिकारियों के बारे में आपको जानकारी देना चाहते है जो अपने देश को आजादी दिलाने के लिए खुद शहीद हो गए |
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1857 के महान क्रांतिकारी
रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन अंग्रेज़ो से लड़ाई करने में ही बीता उन्होंने अपने देश को आज़ाद दिलाने के लिए कई बार अंग्रेज़ो से खुद ही लड़ाई की वह झांसी की थी इसीलिए उन्हें झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है | वह एक निडर, वीर और संघर्षशील महिला थी जिसकी वजह से आज भी हम महिलाओ का हौसला बढ़ाने के लिए एक बार जरूर बोलते है ‘खूब लड़ी मर्दानी थी वह झांसी वाली रानी थी’ |
नाना साहेब
नाना साहेब 1857 की क्रांति के आयोजक थे उन्हें 1857 के आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई जिसकी बदौलत उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य भारत से अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेकने का बना लिया था जिसकी वजह से उन्होंने कई क्रांतिकारियों के साथ मिल कर उन्हें सहयोग दिया तथा खुद भी एक क्रन्तिकारी के रूप में अंग्रेज़ो के सामने लड़े |
मौंलवी अहमद शाह
यह एक योद्धा, कुशल नेता व देशभक्त थे यह हिन्दुओं के साथ परस्पर प्यार और मोहब्बत के सतह रहा करते थे उनकी एकता के लिए और अंग्रेज़ो को इस देश से भगाने के लिए अपने अथक प्रयास किये जिसके लिए 1857 की क्रांति में इन्होने नाना साहेब के साथ मिल कर अंग्रेजी सेना को ललकारना शुरू किया |
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1857 Ke Krantikari Ke Naam
मंगल पांडेय
मंगल पांडेय एक ऐसा नाम था जिसको सुनते ही अंग्रेज़ कम्पनी लगते थे वह वह खुद एक ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक थे जिसकी वजह से उन्हें अंग्रेज़ो से नफरत थी और 1857 की क्रांति के वक़्त आज़ादी की लड़ाई छेड़ दी | इस आंदोलन में कई लोग मरे जिनमे से एक मंगल पांडेय का नाम भी आता है वह अभी 8 अप्रैल 1857 को इस दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा कह गए |
तात्या टोपे
तात्या टोपे उस समय एक ऐसा नाम था जिसके नाम से अंग्रेज़ो एक पसीने छूट जाते थे 1857 की क्रांति में उनका योगदान भी काफी सराहनीय रहा है | उन्होंने 1857 की क्रांति में नाना साहेब के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य किया और अपना परस्पर योगदान दिया यहाँ तक की अंग्रेज़ो ने तात्या टोपे को गिरफ्तार करने के लिए अपनी सबसे मज़बूत सेना भेजी लेकिन वह उन्हें पकड़ने में असफल रहे |
रानी राजेश्वरी देवी
रानी राजेश्वरी देवी ने अपना 1857 की क्रांति में अपना योगदान दिया था उन्होंने अपने क्षेत्र में अंग्रेज़ो को घुसने तक नहीं दिया जिसकी वजह से आज भी उनका नाम इतिहास के पन्नो में एक क्रांतिकारी के रूप में दर्ज़ है | आंदोलन में उनकी उपलब्धि मुक्ति संग्राम में दूसरी वीरांगना के रूप में प्रमुखता से भाग लेना था और अंग्रेज़ो को भागना था |
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