
Holi 2017 : होली का दिन इस साल यानि 2017 में बहुत महत्वपूर्ण है इस साल 13 मार्च को होली मनाई जाएगी | होली का दिन हमारे भारतवर्ष में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को गले मिलकर और रंग लगाकर इस दिन की बधाई देते है वैसे तो हम इस दिन की बधाई होली पर शायरी और होली पर कविता के माध्यम देते है और यह त्यौहार मनाते है स्कूलों में अक्सर बच्चो की होली पर निबंध भी पढ़ाया जाता है आगे हम आपको होली के बारे में जानकारी देंगे की क्या समय है होलिका दहन का और सभी प्रकार की जानकारी |
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Holi in Hindi
होली रंगों का एक शानदार उत्सव है जो भारत में हिन्दु धर्म के लोग हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते है। ये पर्व हर साल बसंत ऋतु के समय फागुन (मार्च) के महीने में आता है जो दिवाली की तरह सबसे ज्यादा खुशी देने वाला त्योहार है। ये हर साल चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है तो आज हम आपको होली इन हिंदी में जानकारी देंगे इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुंदर और रंगीन नजर आते है |
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Holika Dahan 2017
हिंदी पंचांग और holi 2017 date in india calendar के अनुसार होली इस बार 13 मार्च को है और इस बार होलिका दहन 2017, 12 मार्च को होगा जिसका शुभ समय यानि होलिका दहन मुहूर्त सांयकाल 06:31 PM से 08:23 PM तक है |
Dhulandi 2017
धुलेंडी होली का दूसरा नाम होता है क्योंकि होली दो दिनों की होती है पहली छोटी होली और दूसरी बड़ी होली तो जिस दिन छोटी होली को होलिका दहन किया जाता है और बड़ी होली यानि धुलेंडी को होली खेली जाती है जिसमे की हम अपने सभी दोस्तों, रिश्तेदारो को गुलाल लगाकर बधाई देते है यह बहुत मनोरंजन वाला त्यौहार होता है और लोग इस त्यौहार का आनंद बड़े ही धूमधाम के साथ लेते है इसके अलावा होली को अन्य नाम धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन से भी जाना जाता है |
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History of Holi
हिस्ट्री ऑफ़ होली : होली का दिन होलिका की याद में मनाया जाता है क्योंकि एक बलशाली असुर हिरणकश्यप नाम का राजा था और उसकी बहन का नाम होलिका था उसके पुत्र का नाम प्रह्लाद था प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था लेकिन हिरणकश्यप को ये गवारा नही था और वो चाहता था की प्रह्लाद समेत उनके पूरे राज्य में सभी उनकी भक्ति करे और उसने प्रह्लाद को समझाया लेकिन वो भगवान विष्णु के ध्यान में मग्न रहता था तभी हिरणकश्यप ने बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनायीं होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए उसको यह निर्देश दिए गए की प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठ जाये लेकिन जब योजनानुसार होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी तो वह खुद ही अग्निय में भस्म हो गयी भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद का कुछ नही हुआ |
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