स्वामी विवेकानंद का परिचय : स्वामी विवेकानंद जी बहुत विद्धान व्यक्ति थे | स्वामी विवेकानंद के प्रभावशाली व्यक्तित्व द्वारा कहे गए कुछ इंस्पिरेशनल कोट्स जिनके बारे में हम आपको बताएँगे जिससे की आप उनको पढ़कर भी अपने जीवन में सफलता पा सकते है |
विवेकानंद की जीवनी
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था स्वामी विवेकानंद का पुराण नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था | तो आज हम आपको बताएँगे स्वामी विवेकानंद द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन जो उनके व्यक्तित्व को दर्शाते है स्वामी विवेकानंद ने 1884 में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की इन्होंने गरीबो की सेवाओ के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की ये त्याग की मूर्ति थे और इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लोगो की सेवाओ के लिए समर्पित कर दिया इसलिए इनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के नाम से जाना जाता है |
यह भी देखे : नरेंद्र मोदी कोट्स उद्धरण विचार
यह भी देखे : गुरु नानक जयंती कोट्स उद्धरण
स्वामी विवेकानंद विचार
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है
यह भी देखे : मुंशी प्रेमचंद कोट्स
स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचार
अपने आप में विश्वास रखना और सत्य का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
आज्ञा देने की क्षमता प्राप्त करने से पहले प्रत्येक व्यक्ति को आज्ञा का पालन करना सीखना चाहिए।
आप ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर पाएंगे, जब तक आप अपने आप में विश्वास नहीं करते।
Contents
