Lohri Par Nibandh | एस्से ऑन लोहरी फेस्टिवल इन हिंदी : जैसे ही नए साल का प्रारम्भ होता है उसी दिन से त्यौहारों की बहार आना शुरू हो जाती है जिसमे की पंजाबियो का त्यौहार सबसे पहले पड़ता है | पंजाबियो का त्यौहार लोहरी एक बहुत ही ख़ास तथा महत्वपूर्ण दिन होता है इसीलिए यह दिन सबहि पंजाबियो के लिए बहुत महत्त्व रखता है |

इसीलिए सभी स्कूल व कॉलेजो चाहे वह कोई सी भी क्लास जैसे 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, या 12 में लोहरी के ऊपर निबंध या एस्से लिखवाना शुरू कर देते है इसीलिए कई लोग इंटरनेट पर एस्से सर्च करना प्रारम्भ कर देते है इसीलिए अगर आप लोहरी के ऊपर निबंध जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी को पढ़ सकते है |

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क्यों हम लोहड़ी का जश्न मनाने

लोहरी का जश्न मानाने के पीछे एक बहुत कारण है यह बात अकबर के समय थी उस समय एक बहुत बड़ा दुल्हाभट्टी नाम का डाकू हुआ करता था उसने सुंदरी एवं मुंदरी व मुंदरी नाम की दो कन्याओ की रक्षा की थी | उस समय सुंदरी व मुंदरी दो कन्याये थी जिन्हे उनके चाचा विधिवत शादी न करके एक राजा को दान कर देना चाहते था लेकिन दूल्हा भट्टी को यह मंजूर नहीं था |

दूल्हे ने उन्हें उनके चाचा के चंगुल से छुड़ाकर लोहड़ी की इसी रात आग जलाकर उनकी शादी करवा दी और एक सेर शक्कर उनकी झोली में डालकर विदाई की। माना जाता है कि इसी घटना के कारण लोग लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। दूल्हा भट्टी को आज भी प्रसिद्ध लोक गीत ‘सुंदर-मुंदिरए’ गाकर याद किया जाता है पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है |

लोहड़ी के कुछ पारंपरिक गीत व गिद्दे

Lohri Ke Kuch Paramparik Geet Va Gidde : लोहड़ी के त्यौहार को सभी लोग बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते है इसीलिए इस दिन के प्रसिद्ध गीत सांग, या गिद्दे जानने के लिए इनके कुछ लिरिक्स आप नीचे से जान सकते है :

  1. लोहड़ी पारंपरिक गिद्दे
  2. सुंदर मुंदरिये, होए
  3. तेरा की विचारा, होए
  4. दुल्ला भट्टी वाला, होए
  5. दुल्ले दी धी वियाई, होए
  6. सेर शकर पाई, होए

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लोहड़ी उत्सव

लोहड़ी का उत्सव हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले पुरे उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है यह त्यौहार ज्यादातर पंजाब में मनाया जाता है क्योकि यह पंजाबियो का त्यौहार ही होता है | लोहरी के दिन ही तमिल हिंदू पोंगल भी मनाया जाता है इस दिन सभी लोग गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते है व रात के समय होली की तरह ही आग जला कर गीत गाने शुरू कर देते है | यह उत्सव इस साल यानि की 2022 में 13 जनवरी के दिन ही पड़ेगा |

Essay On Lohri Festival in Hindi

लोहरी पर निबंध इन हिंदी – 2020 पंजाब के लोहड़ी त्यौहार पर निबंध

हिंदी लैंग्वेज में लोहरी के ऊपर 10 lines on lohri in hindi, निबंध या Short Essay के बारे में या लोहड़ी का इतिहास के बारे में पढ़ने के लिए आप यहाँ से देख सकते है जिसके माध्यम से आपको लोहरी क्यों मन्यायी जाती है के बारे में भी पता लग जाता है :

भूमिका – हर देश में त्योहारों और पर्वों का बड़ा महत्व होता है। ये पर्व और त्योहार किसी देश या जाति की संस्कृति का चित्र पेश करते हैं। इन त्योहारों को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। लोहड़ी भी हमारे देश का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सारे देश में बड़ी धूम – धाम से मनाया जाता है। पंजाब में तो इसे एक विशेष ढंग से मनाया जाता है।

समय और स्थान – यह पर्व माघ महीने की मकर सक्रांति (माघी) से एक दिन पहले मनाया जाता है। सर्दी का मौसम होता है। रात को खुले स्थान पर लोग इकठे होते हैं और गोल दायरे में बैठकर इसे मनाते हैं। बीच में लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर चिन लिया जाता है। फिर ढेर को आग लगा दी जाती है।

मनाने की विधि – आग के ढेर पर अनेक वस्तुए डाली जाती हैं, उनमें तिल, गुड़ और रेवड़ियाँ प्रधान होती हैं। कुछ लोग गायत्री मन्त्र पढ़कर आहुतियाँ देते हैं। फिर अग्नि की परिक्रमा करते हैं। सब लोग मिलकर रेवड़ियाँ खाते हैं और ढोल ढमाका होता हैं , भंगड़े डाले जाते हैं। जिनके घर बच्चे ने जन्म लिया होता है, वहाँ लोहड़ी बड़े उत्साह से मनाई जाती है।

सती – दहन से सम्बन्ध – ऐसा भी कहा जाता है कि शंकर जी की पत्नी सती अपने पिता से नाराज़ होकर आग में कूद पड़ी और भस्म हो गई। शंकर जी को क्रोध आया। प्रजापति ने क्षमा मांग ली। तब शंकर जी ने क्षमा कर दिया दक्ष ने शंकर जी को विदा करते समय बहुत कुछ भेंट किया।

सुन्दरी – मुन्दरी की कथा – ऐसा सुना जाता है की मुग़ल काल में किसी ब्राह्मण की दो लड़कियाँ थीं जिनका नाम सुन्दरी और मुन्दरी था। उन दोनो का रिश्ता किन्हीं ब्राह्मण युवकों से कर दिया गया था। कोई मुग़ल शासक उनसे विवाह करना चाहता था। ब्राह्मण युवक डर गये। उन्होंने उन लड़कीयों से विवाह करने से इनकार कर दिया। तब दुल्ला भट्टी नामक डाकू से किसी एकान्त प्रदेश में पिता बनकर उन दोनों लड़कियों का विवाह उन्हीं नोजवान युवक ब्राह्मणों से किया और शगुन में शक्कर दी।

लोहड़ी देवी से सम्बन्ध – ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लोहड़ी देवी ने एक क्रूर दैत्य को जलाकर भस्म कर दिया था। उसकी याद में यह दिन मनाया जाता है। मनाने के अन्य कारण – लोहड़ी का सम्बन्ध कृषि से भी है। इस दिन किसान आग के पास बैठ कर छः महीने का हिसाब – किताब करते हैं।

क्योंकि इन दिनों नई फ़सल घर आई होती है। इसका सम्बन्ध शीत ऋतु से भी है। अमीर – ग़रीब सब लोग तिल, चावल, रेवड़ियाँ आदि खाकर सर्दी मिटाते हैं और ऊँच – नीच का भेद – भाव मिट जाता है। इसका सम्बन्ध धर्म से भी है। इस दिन लोग हवन करके देवताओं को प्रसन्न करते हैं और जलती हुई आग की शिखा ऊपर उठने का संदेश देती है।

उपसंहार – लोहड़ी का त्योहार हमें एकता का सन्देश देता है। धनी अथवा निर्धन मिल – बैठकर एकता को बढ़ाना भी इस पर्व का उद्देश्य है।

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लोहरी पर निबंध In Punjabi – Essay On Lohri Written In Punjabi Language

ਭੂਮਿਕਾ – ਹਰ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਅਤੇ ਤਿਉਹਾਰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਅਤੇ ਤਿਓਹਾਰ ਕਿਸੇ ਰਾਸ਼ਟਰ ਜਾਂ ਕੌਮ ਦੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੀ ਤਸਵੀਰ ਪੇਸ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ. ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਬਹੁਤ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਲੋਹੜੀ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਇੱਕ ਅਹਿਮ ਤਿਉਹਾਰ ਵੀ ਹੈ. ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਪੂਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇਹ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਢੰਗ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.

ਸਮਾਂ ਅਤੇ ਸਥਾਨ – ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਾਘੀ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਮਗਰ ਸਕਾਰਤੀ (ਮਾਘੀ) ਦੇ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਵਿੰਟਰ ਸੀਜ਼ਨ ਹੈ ਲੋਕ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਖੁੱਲੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਕ ਸਰਕਲ ਵਿਚ ਬੈਠ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ. ਵਿਚਕਾਰ ਵਿਚ, ਲੱਕੜ ਅਤੇ ਗਊ ਮਿਸ਼ਰਣ ਦਾ ਇਕ ਢੇਰ ਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਫਿਰ ਢੇਰ ‘ਤੇ ਅੱਗ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ.

ਜਸ਼ਨ ਦੀ ਵਿਧੀ – ਕਈ ਚੀਜ਼ਾਂ ਅੱਗ ਦੇ ਢੇਰ ਤੇ ਰੱਖੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਤਿਲ, ਗੁਗੁਰ ਅਤੇ ਕਾਂਸੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹਨ. ਕੁਝ ਲੋਕ ਗਾਇਤਰੀ ਮੰਤਰ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਬਲੀਦਾਨ ਦਿੰਦੇ ਹਨ. ਫਿਰ ਅੱਗ ਦੀ ਭੜਾਸਾ ਕਰੋ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਇਕੱਠੇ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਡੱਡੂ ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਫਾਵਲ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਲੋਹੜੀ ਬਹੁਤ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਘਰ ਵਿੱਚ ਬੱਚਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ.

ਸਤੀ – ਬਲਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ – ਇਹ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸ਼ੰਕਰ ਦੀ ਪਤਨੀ ਸਤੀ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਗੁੱਸੇ ਹੋ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੱਗ ਵਿਚ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਭਸਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ. ਸ਼ੰਕਰ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁੱਸਾ ਆ ਗਿਆ ਪ੍ਰਜਾਪਤੀ ਨੇ ਮੁਆਫੀ ਮੰਗੀ. ਫਿਰ ਸ਼ੰਕਰ ਜੀ ਨੇ ਮੁਆਫ ਕੀਤਾ, ਦਖਣ ਨੇ ਸ਼ੰਕਰ ਜੀ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਉਹ ਛੱਡ ਰਹੇ ਸਨ.

ਸੁੰਦਰੀ – ਮੁੰਡਾਰੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ – ਇਹ ਸੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੁਗਲ ਦੌਰ ਦੌਰਾਨ ਬ੍ਰਦਰ ਦੇ ਦੋ ਲੜਕੀਆਂ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰੀ ਅਤੇ ਮੁੰਦਰੀ ਰੱਖੇ ਗਏ ਸਨ. ਉਹ ਦੋਵੇਂ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ. ਕੁਝ ਮੁਗ਼ਲ ਸ਼ਾਸਕ ਉਸ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ. ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਨੌਜਵਾਨ ਡਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਲੜਕੀਆਂ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਨ ਤੋਂ ਨਾਂਹ ਕਰ ਦਿੱਤੀ. ਫਿਰ ਇੱਕ ਡਕੈਤ ਤੋਂ ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਇਕੱਲੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਪਿਤਾ ਸੱਦਿਆ ਗਿਆ, ਉਸਨੇ ਦੋ ਲੜਕੀਆਂ ਨਾਲ ਉਸੇ ਹੀ ਜੁਆਨ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਖੰਡ ਵਿੱਚ ਸ਼ੂਗਰ ਬਣਾਇਆ.

ਲੋਹੜੀ ਦੇਵੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ – ਇਹ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਦਿਨ ਲੋਹਾਡੀ ਦੇਵੀ ਨੇ ਇਕ ਜ਼ਾਲਮ ਅਦਭੁਤ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਕੇ ਸਾੜ ਦਿੱਤਾ. ਉਸਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਿਨ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਮਨਾਉਣ ਦੇ ਹੋਰ ਕਾਰਨ – ਲੋਹੜੀ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦਾ ਵੀ ਹਿੱਸਾ ਹਨ. ਇਸ ਦਿਨ ਕਿਸਾਨ ਛੇ ਘੰਟਿਆਂ ਲਈ ਅੱਗ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਖਾਤਾ ਖਾਂਦੇ ਹਨ.

ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਨਵੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਆ ਗਈਆਂ ਹਨ. ਇਹ ਸਰਦੀਆਂ ਦੇ ਮੌਸਮ ਨਾਲ ਵੀ ਸੰਬੰਧਤ ਹੈ. ਅਮੀਰ – ਭਾਅ ਮਿਟ – ਵਿਚਕਾਰ ਘੱਟ ਫਰਕ – ਗਰੀਬ ਠੰਡੇ ਮਿਟਾਉਣਾ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਤਿਲ, ਚਾਵਲ, Revdiya ਆਦਿ oonch ਖਾਧਾ. ਇਹ ਧਰਮ ਨਾਲ ਵੀ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ. ਇਸ ਦਿਨ ਲੋਕ ਦੇਵਤਿਆਂ ਤੋਂ ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਅਤੇ ਬਲਦੀ ਅੱਗ ਦੀ ਵਧਦੀ ਅੱਗ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਇੱਕ ਸੁਨੇਹਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ.

ਐਪੀਲਾਗ – ਲੋਹੜੀ ਤਿਉਹਾਰ ਸਾਨੂੰ ਏਕਤਾ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਅਮੀਰ ਜਾਂ ਗਰੀਬ ਪਤੀ-ਪਤਨੀ ਦੀ ਏਕਤਾ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣਾ ਹੈ.

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लोहड़ी पर निबंध | Essay On Lohri Festival in Hindi
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