इतिहास

राम की मृत्यु कैसे हुई

Raam Ki Mratyu Kaise Hui : भगवान विष्णु के 10 अवतार में से सांतवे अवतार भगवान राम थे जिनका पृथ्वी पर जन्म का मकसद जमीन पर बढ़ रही महान राक्षस रावण की मृत्यु था | भगवान राम ने पृथ्वी पर करीब 11 हज़ार साल तक राज़ किया था उनके महान कार्य की वजह से आज भी हिन्दू धर्म में उनका नाम अमर हो चुका था उन्होंने अपने जीवन काल में वनवास के समय में संसार का भ्रमण किया और लोगो को धर्म की शिक्षा प्रदान की जिसके कारणवश उन्होंने पुरुषोत्तम श्री राम के नाम से भी जाना जाने लगा | इसीलिए हम आपको राम जी की मृत्यु का कारण बताते है की उन्हें क्यों मृत्यु प्राप्त हुई |

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भगवान श्रीराम की मौत का कारण

  1. भगवान हनुमान को होते हुए भगवान राम को काल यानि यमराज छू भी नहीं सकता था क्योकि भगवान हनुमान रामजी के प्राणरक्षक और उनके सबसे बड़े भक्त थे क्योकि वह खुद एक भगवान शिव के अवतार थे इसीलिए उनके पास बलशाली शक्तियां थी जिसकी वजह से बड़े से बड़ा देवता भी उनके नाम से घबराता था |
  2. भगवान श्री राम की मृत्यु के समय नज़दीक आ चुका था इसीलिए ब्रह्मा जी ने यमराज को राम जी को यह बात बताने के लिए पृथ्वीलोक भेजा लेकिन हनुमान को होते हुए किसी भी तरह की बुरी शक्ति अयोध्या में प्रवेश नहीं कर सकती थी इसीलिए यमराज भी प्रवेश करने में असमर्थ रहे |
  3. फिर यमराज ने एक साधू का वेश धारण करके अयोध्या में प्रवेश किया और राम से मिलने की आग्रह किया और राम से बोले की हे प्रभु मई आपसे अकेले में कुछ बात करना चाहता हूँ जिसके लिए आपको किसी भी व्यक्ति को इस कक्ष के अंदर प्रवेश नहीं कर देना होगा | और भगवान राम से वचन लिया की जो कोई भी हमारी बातो को सुनेगा आपको उसे मृत्यु दंड देना पड़ेगा और राम जी ने वचन दे दिया |
  4. भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उस कक्ष के बाहर खड़ा किया और कहा की किसी को भी अंदर न आने दिया जाये |
  5. उसी समय वहां दुर्वाशा ऋषि आ गए और उन्होंने प्रभु राम से अचानक मिलने की इच्छा जताई जिसके लिए पहले लक्ष्मण ने उन्हें बताया की वह अभी अंदर है इसीलिए आप कृपया थोड़ी प्रतीक्षा करे | दुर्वाशा ऋषि अपनी अपने गुस्से के लिए जाने जाते है जिसकी वजह से उन्हें गुस्सा आया और उन्होंने बोलै की अगर तुम मुझे अंदर नहीं जाने दोगे तो मै राम को श्राप दूंगा |
  6. इससे लक्ष्मण जी बहुत गंभीर समस्या में पड़ गए जिसमे की उन्होंने सोचा की मै राम जी के ऊपर कोई हानि नहीं पहुँचने दे सकता इसीलिए खुद ही मृत्यु को प्राप्त कर लूंगा इसीलिए वह अंदर कक्ष में चले गए |
  7. यह देख कर राम को न चाहते हुए भी वचन के अनुसार लक्ष्मण को मृत्यु दंड देना पड़ा उस समय राज्य से बाहर निकालना ही मृत्युदंड के सामान कहलाता था इसीलिए उन्होंने लक्ष्मण को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया और लक्ष्मण ने सोचा की वह अपने भाई राम के बिना अधूरे है जिस कारणवश उन्होंने सरयू नदी में जाकर अपने प्राण त्याग दिए |
  8. जिस तरह लक्ष्मण राम के बिना अधूरे थे उसी तरह से राम भी अपने भाई लक्ष्मण के बिना अधूरे थे उनके मृत्युदंड देने के बाद और यमराज की बातो को सुनके की अब उनके जाने का समय आ चुका है उन्होंने भी अपने प्राण त्याग करने का निश्चय किया और वह भी सरयू नदी के भूभाग तक जाकर विलुप्त हो गए और विष्णु लोक पहुँच गए |

भगवान श्रीराम की मौत का कारण

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राम की मृत्यु के समय हनुमान कहाँ थे ?

  1. हनुमान के होते हुए भी काल अयोध्या में प्रवेश कैसे कर गया इसके पीछे भी कहानी है इसके लिए भगवान राम को पहले से ही अपनी मृत्यु का आभास हो चुका था और उन्हें पता था की यमराज उनको लेने के लिए आ रहे है किन्तु हनुमान को होते हुए यह असभव था |
  2. इसीलिए भगवान राम ने अपने महल के फर्श के एक छेद में अपनी अंगूठी को गिरा दिया और हनुमान से उस अंगूठी को ढूंढ कर आने का आदेश दिया | भगवान हनुमान अपनी आकृति उस छिद्र के सामान करके उस छिद्र में घुस गए |
  3. उसके बाद वह सीधे नागलोक तक पहुँच गए वाहन उनकी भेंट नागलोक का राजा वासुकी से हुई जिन्हे हनुमान ने उनके नागलोक आने का कारण बताया | इसीलिए वासुकी हनुमान को एक अंगूठी के बहुत बड़े ढेर तक लेकर चले गए वहां बहुत सारी अंगूठी थी |
  4. जब हनुमान उनमे से एक अंगूठी उठाते है तो वह राम की ही होती है उसी तरह से वह जब दूसरी उठाते है तो वह भी श्रीराम की ही थी उन्होंने वासुकी से इसका कारण पूछा तब उन्होंने हनुमान को बताया की “समय चक्र और काल चक्र अपनी गति से घूम रहा है जो आया है वह जाएगा और जो जन्मा है वह मरेगा जरुर परन्तु आप उस समय और काल चक्र के नियम बदल रहे थे इस चक्र में भगवान राम की मृत्यु समय भी निश्चित हो चुकी थी आप उस कालचक्र में बाधक बन रहे थे इसीलिए आपको आपके कर्तव्य से भटकाने के लिए नागलोक भेजा गया ताकि काल अयोध्या में प्रवेश कर चुके |”
  5. इस तरह से हनुमान भी सभी बाते समझ गए जब उन्होंने सोचा की जब वह लौटेंगे तो भगवान राम अनहि होंगे और राम नहीं है तो मेरा ये शरीर भी किसी काम का नहीं और मेरे लिए यह दुनिया भी कुछ नहीं |

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