Ramkrishna Paramhans Ke Anmol Vichar Va Updesh : रामकृष्ण परमहंस जी का जन्म 18 फरवरी 1836 में हुआ था उन्होंने अपने जीवन काल में मानवीय धर्म के लिए कई कार्य भी किये और मानवता के लिए बहुत बड़े-2 कार्य भी किये | वह एक महान योगी और और उच्च कोटि के विचारक थे उन्होंने अपने प्रेरणादायक विचारो से समाज कल्याण में योगदान दिया था जी वजह से उन्हें मानवीय मूल्यों का पोषक भी कहा जाता है | हम आपको रामकृष्ण परमहंस जी के कुछ बेहतरीन विचार बताते है जो की मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है | यह हमने आपको रामकृष्ण परमहंस जी के कुछ मोटिवेशनल विचार बताए है जो आपको मोटीवेट करते है और आपको मानवता का पाठ सिखाते है |
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रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
Ramkrishna Paramhans Ke Updesh : रामकृष्ण जी ने अपने शिष्यों को कई तरह के उपदेश दिए है इसीलिए हम आपको उनके उपदेशो के बारे में बताते है उनके उपदेशो को पढ़ने के लिए आप हमारी इस जानकारी को पढ़ सकते है :
जिस प्रकार गंदे शीशे पर सूर्य की रौशनी नही पड़ती ठीक उसी प्रकार गंदे मन वालो पर ईश्वर के आशीर्वाद का प्रकाश नही पद सकता है
अपने विचारों में इमानदार रहें। समझदार बने, अपने विचारों के अनुसार कार्य करें, आप निश्चित रूप से सफल होंगे। एक ईमानदार और सरल हृदय के साथ प्रार्थना करो, और आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी।
बिना स्वार्थ के कर्म करने वाले इन्सान वास्तव में वे खुद के लिए अच्छा कर्म करते है
यदि हम कर्म करते है तो अपने कर्म के प्रति भक्ति का भा होना परम आवश्यक है तभी वह कर्म सार्थक हो सकता है
सत्य की राह बहुत ही कठिन है और जब हम सत्य की राह पर चले तो हमे बहुत ही एकाग्र और नम्र होना चाहिए क्यूकी सत्य के माध्यम से ही ईश्वर का बोध होता है
जब तक हमारा जीवन है हमे सीखते रहना चाहिए
ईश्वर के अनेको रूप और अनेको नाम है और अनेक तरीको से ईश्वर की कृपा दृष्टि प्राप्त किया जा सकता है और हम ईश्वर को किस नाम या किस तरह से पूजा करते है यह उतना महत्वपूर्ण नही है जितना की हम अपने अंदर उस ईश्वर को कितना महसूस करते है
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रामकृष्ण परमहंस के प्रेरक प्रसंग
Ramkrishna Paramhans Ke Prerak Prasang : रामकृष्ण जी के कई बेहतरीन प्रेरक प्रसंग है जिनके माध्यम से आप महत्वपूर्ण जानकारी पा सकते है इन्हे पढ़ने के लिए आप नीचे बताये गए कुछ विचारो को पढ़ सकते है :
धर्म की बात तो हर कोई करता है लेकिन अपने आचरण में लाना सबके बस की बात नही है
ईश्वर सभी इंसानों में है लेकिन सभी इंसानों में ईश्वर का भाव हो ये जरुरी हो नही है इसलिए हम इन्सान अपने दुखो से पीड़ित है
एक आदमी एक दीपक की रोशनी से भी भागवत पढ़ सकता है, और एक ओर बहुत प्रकाश में भी कोई जालसाजी कर सकता हैं इन सबसे दीपक अप्रभावित रहता है। सूरज दुष्ट और गुणी व्यक्ति के लिए प्रकाश में कोई अंतर नहीं लाता और दोनों पर समान प्रकाश डालता है।
जब फूल खिलता है तो मधुमक्खी बिना बुलाये आ जाती है और हम जब प्रसिद्द होंगे तो लोग बिना बताये हमारा गुणगान करने लगेगे
यदि हम ईश्वर की दी हुई शक्ति का उपयोग भलाई और अच्छे कर्मो में न करे तो फिर हमे ईश्वर की कृपा पाना है तो अपना जीवन समाज भलाई में लगाना चाहिए
जब तक हमारे मन में इच्छा है तब तक हमे ईश्वर की प्राप्ति नही हो सकती है
रामकृष्ण वचनामृत
Ramkrishna Vachnamrat : रामकृष्ण जी ने अपनी वचनो के द्वारा ही सब लोगो को मानवता का पाठ पढ़ाया है इसीलिए यह शिक्षा देते वक़्त उनके द्वारा जिन वचनो को प्रयोग किया है उन वचनो को जान सकते है :
अथाह सागर में पानी और पानी का बुलबुला दोनों एक ही चीज है ठीक उसी प्रकार ईश्वर और जीवात्मा दोनों एक ही है बस फर्क इतना है की ईश्वर सागर की तरह अनंत तो जीवात्मा बुलबुले की तरह सिमित है
दुनिया के हर तीर्थ धाम कर ले भी तो हमे सुकून नही मिलेगा जबतक हम अपने मन में शांति न खोजे
नाव को हमेसा जल में ही रहना चाहिए जबकि जल को कभी भी नाव में नही होंना चाहिए ठीक उसी प्रकार भक्ति करने वाले इस दुनिया में रहे लेकिन जो भक्ति करे उसके मन में सांसारिक मोहमाया नही होना चाहिए
ईश्वर दुनिया के हर कण में विद्यमान है और और ईश्वर के रूप इंसानों से आसानी से देखा जा सकता है इसलिए इंसान का सेवा करना ईश्वर की सच्ची सेवा है
जब हवा चले तो पंखा चलाना छोड़ सकते है लेकिन जब ईश्वर की कृपादृष्टि हो तो हमे ईश्वर की भक्ति नही छोडनी चाहिए
अगर हमे पूर्व दिशा की तरफ जाना है तो हमे कभी भी पश्चिम दिशा में नही जाना चाहिए यानि यदि हमे सफलता की दिशा में जाना है तो कभी भी सफलता के विपरीत दिशा में नही जाना चाहिए
संसार का कोई भी इन्सान अगर अपने जीवन में पूरी ईमानदारी से ईश्वर के प्रति समर्पित नही है तो उस इन्सान को अपने जीवन से कोई भी उम्मीद नही रखनी चाहिए
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रामकृष्ण परमहंस के प्रवचन
Ramkrishna Paramhans Ke Pravachan : रामकृष्ण जी अपने शिष्यों को शिक्षा देते वक़्त उन्हें प्रवचन भी दिया करते थे जिन प्रवचनों को जानने के लिए आप इस जानकारी को पढ़ सकते है :
यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनो, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों।
तुमको प्रकाश अथवा रौशनी की प्राप्ति तब ही कर सकते हो जब तुम उसकी तलाश में हो, और ये तलाश बिल्कुल वैसी ही होनी चाहिए, जैसे की बालों में आग लगे हुआ व्यक्ति तालाब की तलाश में होता हैं।
भगवान से प्रार्थना करो कि धन, नाम, आराम जैसी अस्थायी चीजो के प्रति लगाव दिन-दिन अपने आप कम होता चला जाएँ।
एक सांसारिक आदमी जो कि ईमानदारी से भगवान के प्रति समर्पित नहीं है, को अपने जीवन में कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
भगवान को सभी पथो और माध्यमों के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, सभी धर्म सच्चे और सही हैं। महत्वपूर्ण बात यह यह कि आप उस तक उस तक पहुँच पाते हैं या नहीं। आप वहां तक जानें के लिए कोई भी रास्ता अपना सकते हैं रास्ता महत्व नहीं रखता।
सामान्य व्यक्ति धर्म के बारें में हजारों बुराइया करता हैं, लेकिन धर्म को प्राप्त करने का प्रयास बिल्कुल नहीं करता। जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जोकि धर्म का काफी ज्ञान रखता हैं और उसका आचरण भी धर्मअनुसार ही हैं कम ही बोलता हैं।
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