इतिहास

संत रविदास का जीवन परिचय – गुरु रैदास की जीवनी – Guru Ravidas Biography, History, Jayanti In Hindi

भारत के इतिहास में बहुत से संत और कवी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं और पद से समाज को परिवर्तित करने की कोशिश की | ऐसे ही एक कवी, संत, गुरु एव समाज सुधारक थे रविदास | उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को सुधारने में लगा दिया| उन्होंने बहुत सी अच्छी और प्रेरणात्मक रचनाए की जिनकी चर्चा आज भी होती हैं| उनके जीवन का एक ही मकसद था समाज में जितनी भी बुराइयाँ हैं उन्हें जड़ से ख़त्म कर देना | वे संत कबीर के गुरु भाई थे क्योकि उन्होंने भी रामानंद से शिक्षा ग्रहण की थी| आज के इस पोस्ट में हम आपको रविदास की रचनाएँ, गुरु रविदास जयंती, संत रविदास के दोहे, रविदास की वाणी, रैदास के गुरु का नाम, poet ravidas biography in hindi, history of guru ravidass in hindi, kavi ravidas biography in hindi आदि के बारे में जानकारी देंगे|

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संत रैदास का जीवनी

कवि रविदास का पूरा नाम शिरोमणि रविदास था| उन्हें अब तक के महान संतो में गिना जाता हैं| उनका जन्म संन 1370 में काशी की पावन धरती में हुआ था| उनके पिताजी का नाम श्री संतो़ख  दास था और संत रविदास की माता का नाम कलसा देवी था| बचपन से ही रैदास संतो के बीच पलेबढ़े थे और उनसे ही शिक्षा भी ग्रहण की थी| उनके पिताजी का जूते बनाने का व्यवसाय था| वे हर काम पूरी श्रद्धा से करते थे| शुरू से ही वे बहुत ही दयालु थे| अपना काम छोड़कर दूसरो की मदद करने में संकोच नहीं करते थे| वे साधू संतो की बहुत सहायता करते थे| उन्हें बिना कुछ मूल लिए जूते और भोजन दान में दे देते थे| उनकी पत्नी का नाम लूणी देवी था| उनका एक बालक था जिसका नाम विजय दास था|

Sant Ravidas Biography In Hindi

गुरु रैदास की जीवनी

उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरो की सहायता करने में बिता दिया| उनका यह गुण उनके माता और पिता को बिलकुल भी नहीं भाता था| एक दिवस उन्होंने रविदास और उनकी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया| उस छड़ रविदास और उनकी पत्नी ने कुछ दूर जाकर अपनी एक नई इमारत बनाई और अपने व्यवसाय में दिल लगाकर मेहनत की | वे अपने खाली समय में ईश्वर के ध्यान में लीं हो जाते थे और साधू और ऋषि मुनियो के सत्संग में जाकर ज्ञान प्राप्त करते थे|

Ravidas Jayanti History In Hindi

एक दिवस वे संत रामानंद के सत्संग में गई थे| उनकी बाते और उनकी वाणी सुनकर रविदास इतने प्रभावित हुए की उनके शिष्य बन गए| उन्होंने ही रविदास को ग्रंथो और वेदो का ज्ञान दिया| इसी क्षण से उनके कवि और संत के जीवन की शुरुवात हुई| वे हर समय भक्ति भरे भजनो और कविताओं की रचना करते थे और लोगो को सुनाते थे| उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत सी महान रचनाए की| संन 1540 में उनका स्वास्थ खराब होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई|

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रविदास की रचनाएँ

Guru Ravidas Biography History Jayanti In Hindi

  • अब मैं हार्यौ रे भाई
  • गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ
  • राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ
  • अब मोरी बूड़ी रे भाई
  • तेरा जन काहे कौं बोलै
  • भाई रे भ्रम भगति सुजांनि
  • त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे
  • आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां
  • भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो
  • ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै
  • अखि लखि लै नहीं
  • नरहरि चंचल मति मोरी
  • राम बिन संसै गाँठि न छूटै
  • तब राम राम कहि गावैगा
  • संतौ अनिन भगति
  • ऐसी भगति न होइ रे भाई
  • भगति ऐसी सुनहु रे भाई
  • अब कुछ मरम बिचारा
  • नरहरि प्रगटसि
  • त्यू तुम्ह कारन केसवे
  • गौब्यंदे भौ जल
  • कहा सूते मुगध नर
  • कांन्हां हो जगजीवन
  • सेई मन संमझि

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