त्यौहार

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

Mokshada Ekadashi : भारत देश त्योहारों का देश है जहाँ पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है व व्रत रखे जाते है उन्ही व्रतों में सबसे पहले एकादशी के व्रतों का नाम आता है इस व्रत को करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्त होती है या अगर उसके पूर्वज अपने किसी पाप के कारणवश नर्क में है तो उन्हें भी मोक्ष प्राप्त हो जाता है | इसीलिए हम आपको इस व्रत के पीछे की कथा व कहानी के बारे में बताते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होती है जिसे सुन कर आप एकादशी के व्रत को सही प्रकार से करके इस उपवास का फल प्राप्त कर सकते है |

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मोक्षदा एकादशी कब है

Mokshada Ekadashi Kab Hai : शास्त्रों के अनुसार सब एकादशियो में यह एकादशी सबसे अधिक महत्व रखती है जिस दिन यह पड़ती है उसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है | हिन्दू पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पड़ती है | उस बार यानि 2020 में यह 30 नवंबर को गुरुवार के दिन पड़ रही है इसी दिन आपको मोक्षदा एकादशी का व्रत रखना होगा |

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एकादशी व्रत विधि

Ekadashi Vrat Vidhi : मोक्षदा एकादशी के दिन आपको किस विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए इसके बारे में जानकारी पाने के लिए आप नीचे बताई गयी जानकरी पढ़ सकते है :

  1. यह उपवास दशमी तिथि रात्रि को प्रारम्भ होकर द्वादशी तिथि की सुबह तक चलता है |
  2. इस दिन दामोदर व श्री कृष्णा जी के साथ-2 भगवान श्री हरी विष्णु जी की पूजा की जाती है |
  3. एकादशी के दिन आपको सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए व व्रत का संकल्प लेना चाहिए |
  4. उसके बाद भगवान विष्णु, दामोदर व श्री कृष्णा जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए |
  5. पूजा में आप विष्णु जी के अवतार की कथा का आयोजन कर सकते है तथा रात्रि के समय में भजन व कीर्तन का आयोजन भी किया जाना चाहिए |
  6. उसके बाद द्वादशी की प्रातः भगवान विष्णु का स्मरण करके ब्राहम्णो को भोजन करवाना चाहिए |
  7. उसके बाद व्रतधारी को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठ कर भोजन करना चाहिए और उपवास तोडना चाहिए |

मोक्षदा एकादशी कब है

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मोक्षदा एकादशी की कहानी

Mokshada Ekadashi Ki Kahani : मोक्षदादशी की कथा के अनुसार, महाप्रतापी व चारो वेदो का ज्ञाता राजा वैखानस नामक गोकुल में निवास करता था। एक रात, एक बार उसे एक सपना आया जिसमे उसने अपने पिता को नरक में पीड़ा पाते हुए देखा था। इसने राजा को बहुत चिंता महसूस होने लगी अगले दिन वह अपने राज्य के विद्वानों ब्राह्मणो के पास गया और अपने सपने के बारे में बताया तब उन विद्वानों ने उन्होंने पर्वत मुनि जी के पास जाने का सुझाव दिया और कहा की वह ही आपकी समस्या का समाधान बता सकते है |

राजा उस मुनि के आश्रम में गए और उसे स्वप्न के बारे में बताया। ऋषि ने धैर्य से उसकी बात सुनी, फिर कुछ समय के लिए उसने अपनी आँखें बंद कर दीं। संत ने अपनी आंखें खोली और राजा को बताया कि उनके पिता ने अपने पिछले जीवन में कुछ गलत कृत्य किए थे और अपने कर्मों के परिणामस्वरूप, वह नरक अपने कर्मो की सजा झेल रहे है। राजा ने संत से समस्या के समाधान के लिए कहा, क्योंकि वह चाहता था कि उसके पिता को मुक्ति प्राप्त हो।

संत ने उन्हें मोक्षदादशी उपवास का पालन करने के लिए कहा। राजा ने उपवास के सभी अनुष्ठानों का विधिपूर्वक पालन किया जिसके परिणामस्वरूप उसके पिता की मुक्ति हुई और वह स्वर्ग तक पहुंचे। तब से यह दिन मोक्ष के रस्ते खोलने का एक द्वार बन गया |

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