इतिहास

मीराबाई का जीवन परिचय – Biography of Meera Bai in Hindi

हमारे भारत के इतिहास में बहुत सारे ऐसे कवी थे जिनकी मधुर कविता और श्लोक भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध हैं| इनमे से ही एक महान कवयित्रि थी मीरा बाई| वे भारत वर्ष के महान संतो में से एक थी| उनकी वाणी बहुत ही मधुर थी| उनकी कविताए और श्लोक अभी भी बहुत प्रसिद्ध हैं| उनके श्लोक और कविता से सीधा भक्ति रस दिखाई देता हैं | जब भी वे अपने श्लोक और कविता सुनाती थी तो सब ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते थे | अगर आप मीरा बाई की जीवनी या उनके बारे में कुछ रचनात्मक बाते जानना चाहते हैं तो हमारा यह पोस्ट आपको सब जानकारी देगा |

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तो चलिए आज हम आपको बताते हैं की मीरा बाई के जीवन के कुछ रचनात्मक और बहुत ही महत्वपूर्ण छड़ जिन्हे सुन कर मीरा बाई के विषय में आप और जान सकेंगे | मीरा बाई का जन्म 15वी शताब्दी में हुआ था| उनका जन्म राजस्थान में जोधपुर जिले में 1498 में हुआ था| उनके गांव का नाम कुड़की था| मीराबाई की माता का नाम वीर कुमारी था और पिता जी का नाम रतन सिंह था| बचपन से ही वे सच्चे मन से श्री कृष्ण को पूजती थी| वे कृष्ण जी की भक्त अपनी माता जी को देखकर बानी| उनकी माता  श्री कृष्णा की सच्चे मनन से भक्त थी| वे अपनी माता के साथ रोज कृष्ण जी की पूजा करती थी|

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Short Biography Of Meera Bai In Hindi – Meera Bai Ki Biography In Hindi

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मीरा बाई का विवाह उदयपुर में हुआ था| उनके पति का नाम महाराणा कुंवर भोजराज था जो की उदयपुर के महाराणा सागा के पुत्र थे| जब मीरा बाई का विवहा हुआ तो उसके कुछ वर्षो बाद ही स्वास्थ खराब होने के कारण उनके पति का देहांत हो गया| जब उनके पति का देहांत हुआ तो वे बहुत दुखी हो गई| लेकिन उदयपुर के समाज ने उन्हें उनकी पति की चिता के साथ जलाने की कोशिश की क्योकि उस समय सती प्रथा की परम्परा थी | लेकिन मीरा बाई ने ऐसा होने नहीं दिया वे उधर से भाग गई और महर्षि साधू और संतो की शरण में आ गई जिधर से उनके जीवन की नई शुरुआत हुई|

मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई – मीरा बाई की मृत्यु

वैसे तो इतिहास में कई ऐसी कहानियां हैं जिसमे बताया गया हैं की मीरा बाई को कई बार मारने का प्रयास हुआ था पर असफल रहे| बहुत बार कई राजघरानो के परिवार ने उन्हें जहर देकर और कई तरीको से मारने की कोशिश की मगर असफल रहे पर असल में उनकी मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में हम आपको बातएंगे| एक बार मीरा बाई वृन्दावन में श्री कृष्ण की भक्ति में लीन थी तब श्री कृष्ण उनकी भक्ति से खुश होकर उन्हें अपने पास बुला लिया | जब वे उनकी भक्ति कर रही थी तब ही अचानक से उनकी मृत्यु हो गई |

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मीराबाई के गुरु का नाम

जब मीरा बाई कृष्ण की भक्ति में लीन हो गई तब उनकी मुलाक़ात महान संत रविदास जी से हुई| उनके भक्ति भरे श्लोक और विचार सुनके मीरा बाई ने उन्हें अपना गुरु बना लिए| कहा जाता हैं की मीरा बाई को कवी और श्लोक लिखना संत रविदास ने सिखाया था|

मीराबाई की भक्ति भावना

एक बार मीरा बाई अपने घर के प्रांगड़ में कड़ी हुई थी तभी उन्हें एक शादी की बारात दिखी| वे दृश्य उन्हें इतना पसंद आया की उन्होंने उत्साह से अपनी माता से पूछा “मेरा पति कौन होगा”. ये बात सुनकर उनकी माता मुस्कुराई और बोली “तुम्हारे पति तो स्वयं भगवन श्री कृष्ण हैं” | उस समय से मीरा बाई श्री कृष्ण की भक्त बन गई| जब उनके पति की मृत्यु हुई तो उस समय के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और वृन्दावन चली गई| वहा वो पुरे समय भगवान् श्री कृष्ण की भक्ति में मगन रहती थी |

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